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Aameen/आमीन

Aameen/आमीन

Aalok Shrivastav/आलोक श्रीवास्तव
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बाज़ारवादी युग में दरकते इन्सानी रिश्तों पर लिखी आलोक की ग़ज़लें उनके निजी अनुभवों का आईना हैं। ‘आमीन’ की कई रचनाओं में सामाजिक सरोकार के सबूत मिले जिसने आलोक को सहज ही बेदार और प्रगतिशील कवियों की क़तार में ला खड़ा किया—वह क़तार जो हिंदी ग़ज़ल और उर्दू ग़ज़ल की ख़ेमेबंदी से परे सिर्फ़ और सिर्फ़ ग़ज़ल की हिफ़ाज़त कर रही है।
‘आमीन’ के प्रथम संस्करण की भूमिका शीर्ष लेखक कमलेश्वर ने लिखी जो किसी पुस्तक पर उनकी अंतिम भूमिका के रूप में याद की जाती है और मशहूर शायर-फ़िल्मकार गुलज़ार के पेशलफ़्ज़ ने इस पर एक मुकम्मल संग्रह होने की मुहर लगाई। दो भाषाओं का पुल बनाने वाले एक नौजवान के पहले संग्रह पर हिंदी और उर्दू के दो शिखर क़लमकारों के शब्द इस बात की गवाही बने कि आलोक ने अपना अदबी इम्तेहान पूरी संजीदगी और तैयारी से दिया है जो बहुत हद तक सही साबित हुई; वहीं दूसरे संस्करण की भूमिका डॉ नामवर सिंह ने लिखी, इस शुभकामना के साथ कि ये रचनाएँ और दूर तक पहुँचे। आमीन!  

Imprint: Penguin Books

Published: Mar/2023

ISBN: 9780670098026

Length : 96 Pages

MRP : ₹250.00

Aameen/आमीन

Aalok Shrivastav/आलोक श्रीवास्तव

बाज़ारवादी युग में दरकते इन्सानी रिश्तों पर लिखी आलोक की ग़ज़लें उनके निजी अनुभवों का आईना हैं। ‘आमीन’ की कई रचनाओं में सामाजिक सरोकार के सबूत मिले जिसने आलोक को सहज ही बेदार और प्रगतिशील कवियों की क़तार में ला खड़ा किया—वह क़तार जो हिंदी ग़ज़ल और उर्दू ग़ज़ल की ख़ेमेबंदी से परे सिर्फ़ और सिर्फ़ ग़ज़ल की हिफ़ाज़त कर रही है।
‘आमीन’ के प्रथम संस्करण की भूमिका शीर्ष लेखक कमलेश्वर ने लिखी जो किसी पुस्तक पर उनकी अंतिम भूमिका के रूप में याद की जाती है और मशहूर शायर-फ़िल्मकार गुलज़ार के पेशलफ़्ज़ ने इस पर एक मुकम्मल संग्रह होने की मुहर लगाई। दो भाषाओं का पुल बनाने वाले एक नौजवान के पहले संग्रह पर हिंदी और उर्दू के दो शिखर क़लमकारों के शब्द इस बात की गवाही बने कि आलोक ने अपना अदबी इम्तेहान पूरी संजीदगी और तैयारी से दिया है जो बहुत हद तक सही साबित हुई; वहीं दूसरे संस्करण की भूमिका डॉ नामवर सिंह ने लिखी, इस शुभकामना के साथ कि ये रचनाएँ और दूर तक पहुँचे। आमीन!  

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