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Kai Chand The Sare-Aasman / कई चाँद थे सरे-आसमां

Kai Chand The Sare-Aasman / कई चाँद थे सरे-आसमां

Shamsurrahman Faruqi / शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी
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Paperback / Hardback

“कई चाँद थे सरे आसमाँ…” यह उपन्यास लेखक की लंबी शोध यात्रा, भाषा पर अद्वितीय पकड़ और मुग़लकालीन समाज की बारीक समझ का अद्भुत मेल है। उपन्यास की मुख्य पात्र वज़ीर खानम एक निडर, बुद्धिमान और विलक्षण महिला है, जिसने अपने समय की सामाजिक सीमाओं को चुनौती दी। वह एक ऐसी स्त्री है जो अपनी शर्तों पर जीती है।
यह 18वीं सदी के उत्तरार्ध और 19वीं सदी की शुरुआत की मुग़ल दिल्ली की पृष्ठभूमि में रचा गया एक ऐसा उपन्यास है, जिसमें मुग़ल दरबार, नवाबी तहज़ीब, शायरी, मोहब्बत, साज़िशें और सांस्कृतिक उथल-पुथल सब कुछ जीवंत हो उठता है।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Oct/2025

ISBN: 9780143479451

Length : 768 Pages

MRP : ₹999.00

Kai Chand The Sare-Aasman / कई चाँद थे सरे-आसमां

Shamsurrahman Faruqi / शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी

“कई चाँद थे सरे आसमाँ…” यह उपन्यास लेखक की लंबी शोध यात्रा, भाषा पर अद्वितीय पकड़ और मुग़लकालीन समाज की बारीक समझ का अद्भुत मेल है। उपन्यास की मुख्य पात्र वज़ीर खानम एक निडर, बुद्धिमान और विलक्षण महिला है, जिसने अपने समय की सामाजिक सीमाओं को चुनौती दी। वह एक ऐसी स्त्री है जो अपनी शर्तों पर जीती है।
यह 18वीं सदी के उत्तरार्ध और 19वीं सदी की शुरुआत की मुग़ल दिल्ली की पृष्ठभूमि में रचा गया एक ऐसा उपन्यास है, जिसमें मुग़ल दरबार, नवाबी तहज़ीब, शायरी, मोहब्बत, साज़िशें और सांस्कृतिक उथल-पुथल सब कुछ जीवंत हो उठता है।

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Shamsurrahman Faruqi / शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी

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