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Keedajadi/कीड़ाजड़ी

Keedajadi/कीड़ाजड़ी

हिंदी कथेतर श्रेणी में VoW(Valley of Words/वैली ऑफ वर्ड्स ) बुक अवॉर्ड्स 2023 के लिए लौंगलिस्टेड

Anil Yadav/अनिल यादव
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Paperback / Hardback

क्या आप जानते हैं कि पिंडर घाटी कहाँ है, जोती कौन है, वहाँ की ज़िन्दगी, धाराएँ और ऊँचाइयाँ कैसी हैं?
क्या आप जानते हैं कि पर्वतारोहण के रोमांच भरे खेल का रास्ता किन लोगों की पीठ पर से होकर गुज़रता है?
एक आदमी पहाड़ की बिन बिजली.सड़क.मोबाइल वाली घाटी में प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने जाता है जो दानपुरी बोली और हिन्दी भाषा के बीच पड़ने वाले जंगल में फँसे हुए हैं। यहाँ फसले हँसिया युग से पहले के औज़ारों से काटी जाती हैं, मुसाफ़िरों के भूत दर्द से फटते पैर सेंकने के लिए नमक और गरम पानी मांगने आते हैं, बादल मासिक.धर्म के कारण फटते हैं, भगवान भक्त को अपना मोबाइल नम्बर दे जाते हैं, बच्चे थाली में बैठकर बर्फ़ पर स्कीईंग करते हैं, जवान अपने खेत नहीं पहचानते और सपने, मैदानों के जैसी बराबर ज़मीन पर चलने के आते हैं।
तीन ग्लेशियरों के तिराहे पर बसी इस घाटी में भटकते हुए वह धीरे.धीरे कीड़ाजड़ी निकालने वालों, आदिम पर्वतारोहियों, स्मगलरों, दलालों, अनवालों और जागरियों के संसार में खो जाता है। वह हैरान आँखों से देखता है कि कामेच्छा, ‘विकास’ की लीला वहाँ भी रच सकती है जहाँ पहुँचने में सरकारें भी झेंपती हैं।
अनिल यादव का एक ट्रैवलॉग वह भी कोई देस है महराज दस साल पहले आया था। अब पिंडर नदी के धगधग प्रवाह जैसा यह दूसरा . . .  

Imprint: Hind Pocket Books

Published: Nov/2022

ISBN: 9780143453734

Length : 209 Pages

MRP : ₹250.00

Keedajadi/कीड़ाजड़ी

हिंदी कथेतर श्रेणी में VoW(Valley of Words/वैली ऑफ वर्ड्स ) बुक अवॉर्ड्स 2023 के लिए लौंगलिस्टेड

Anil Yadav/अनिल यादव

क्या आप जानते हैं कि पिंडर घाटी कहाँ है, जोती कौन है, वहाँ की ज़िन्दगी, धाराएँ और ऊँचाइयाँ कैसी हैं?
क्या आप जानते हैं कि पर्वतारोहण के रोमांच भरे खेल का रास्ता किन लोगों की पीठ पर से होकर गुज़रता है?
एक आदमी पहाड़ की बिन बिजली.सड़क.मोबाइल वाली घाटी में प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने जाता है जो दानपुरी बोली और हिन्दी भाषा के बीच पड़ने वाले जंगल में फँसे हुए हैं। यहाँ फसले हँसिया युग से पहले के औज़ारों से काटी जाती हैं, मुसाफ़िरों के भूत दर्द से फटते पैर सेंकने के लिए नमक और गरम पानी मांगने आते हैं, बादल मासिक.धर्म के कारण फटते हैं, भगवान भक्त को अपना मोबाइल नम्बर दे जाते हैं, बच्चे थाली में बैठकर बर्फ़ पर स्कीईंग करते हैं, जवान अपने खेत नहीं पहचानते और सपने, मैदानों के जैसी बराबर ज़मीन पर चलने के आते हैं।
तीन ग्लेशियरों के तिराहे पर बसी इस घाटी में भटकते हुए वह धीरे.धीरे कीड़ाजड़ी निकालने वालों, आदिम पर्वतारोहियों, स्मगलरों, दलालों, अनवालों और जागरियों के संसार में खो जाता है। वह हैरान आँखों से देखता है कि कामेच्छा, ‘विकास’ की लीला वहाँ भी रच सकती है जहाँ पहुँचने में सरकारें भी झेंपती हैं।
अनिल यादव का एक ट्रैवलॉग वह भी कोई देस है महराज दस साल पहले आया था। अब पिंडर नदी के धगधग प्रवाह जैसा यह दूसरा . . .  

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Reviews

Anil Yadav/अनिल यादव

अनिल यादव एक नामवर यायावर, संवेदनशील लेखक और गंभीर पत्रकार हैं। अब तक उनकी चार किताबें प्रकाशित हैं। उनका कहानी संग्रह नगर वधुएँ अखबार नहीं पढ़तीं और उत्तर-पूर्व पर आधारित यात्रा वतृातं वह भी कोई देस है महराज काफी चर्चा में रहा है। 2018 में उनकी कथेतर किताब सोनम गुप्ता बेवफा नहीं है को “अमर उजाला शब्द सम्मान” मिल चुका है। लंबी कहानी गौसेवक लिए उन्हें “हंस कथा सम्मान” (2019) से सम्मानित किया गया। अनिल को उनके बेलीक जीवन और कथा-शिल्प के लिए जाना जाता है। नई पीढ़ी के लेखकों में संभवत: वे बिरले हैं जिन्होंने दृश्य के अंदर का ‘अदृश्य’ देखने की क्षमता अर्जित कर ली है।

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