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Koi Shikayat Nahin/कोई शिकायत नहीं

Koi Shikayat Nahin/कोई शिकायत नहीं

Dutt Bharti/दत्त भारती
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Paperback / Hardback

‘मैं केवल यह कहना चाहती थी कि आप मेरा शरीर ले सकते हैं, लेकिन मेरा मन नहीं ले सकते, यह कभी आपका न हो सकेगा।’ नवेली वधू के मुख से ये शब्द सुनकर हरिदत्त की जो दशा हुई, उसे बयान नहीं किया जा सकता, उसने उफ तक न की, लेकिन उसने वह कर दिखाया, जो आज तक न कभी देखा था, न सुना था।
मनुष्य क्या से क्या हो सकता है, इस उपन्यास में यह बहुत ही कुशलता के साथ दर्शाया गया है। 

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Dec/2023

ISBN: 9780143465317

Length : 208 Pages

MRP : ₹250.00

Koi Shikayat Nahin/कोई शिकायत नहीं

Dutt Bharti/दत्त भारती

‘मैं केवल यह कहना चाहती थी कि आप मेरा शरीर ले सकते हैं, लेकिन मेरा मन नहीं ले सकते, यह कभी आपका न हो सकेगा।’ नवेली वधू के मुख से ये शब्द सुनकर हरिदत्त की जो दशा हुई, उसे बयान नहीं किया जा सकता, उसने उफ तक न की, लेकिन उसने वह कर दिखाया, जो आज तक न कभी देखा था, न सुना था।
मनुष्य क्या से क्या हो सकता है, इस उपन्यास में यह बहुत ही कुशलता के साथ दर्शाया गया है। 

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Dutt Bharti/दत्त भारती

आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक दत्त भारती ने कहानी, कविताओं और लेखों के अलावा कई सौ उपन्यास लिखकर साहित्य में अपना एक अलग विशिष्ट स्थान बनाया है। घर और स्कूल से प्राप्त आर््यसमाजी संस्कार, विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देशभर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में आर्थिक संकट इन सबने आपको अति संवेदनशील, और विचारक बना दिया, जो आपके लेखन का आधार बना। आपको समाजसेवा एवं लेखन के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं। 

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