
गोरखनाथ संप्रदाय के योगी प्रेम की लोककथाओं को सारंगी की धुन पर गाते थे और घर-घर जाकर भिक्षा माँगते थे। ये कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी लोकगीतों के रूप में सुनाई जाती थीं। समय के साथ इन कथाओं ने लोक-साहित्यकारों, रंगमंच कलाकारों और नौटंकियों को प्रेरित किया है, जो इन्हें मेलों, धार्मिक आयोजनों और अन्य समारोह में प्रस्तुत करते आए हैं।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Oct/2025
ISBN: 9780143477419
Length : 217 Pages
MRP : ₹299.00