
नालंदा विश्वविद्यालय कब स्थापित हुआ था? किसने इसकी स्थापना की थी, वहाँ कौन पढ़ते और पढ़ाते थे? कौन-कौन से विषय पढ़ाए जाते थे? वहाँ कितने छात्र और शिक्षक थे? क्या नालंदा आधुनिक अर्थों में एक विश्वविद्यालय था? नालंदा के पतन का कारण क्या था? नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़े ऐसे अनेक सवाल आज भी पूछे जाते हैं। यह पुस्तक इनके जवाब तलाशने के साथ नालंदा के उत्थान, पतन और पुनर्जीवन की कहानी बताती है। यह पुस्तक विज्ञान, चिकित्सा, गणित, खगोलशास्त्र, दर्शन, कला, वास्तुकला, अनुवाद, काव्य, लिपि, व्याकरण, धर्म आदि विभिन्न क्षेत्रों में नालंदा के योगदान को रेखांकित करती है। लेखक अभय के. नालंदा की असाधारण प्रतिष्ठा स्थापित करने वाले महान विद्वानों के जीवन का भी अन्वेषण करते हैं, साथ ही उन विदेशी विद्वानों का भी, जिन्होंने इस विख्यात महाविहार का दौरा किया। विस्तृत दृष्टिकोण और गहन इतिहास वाली यह पुस्तक नालंदा की सहस्राब्दियों लंबी यात्रा पर नया प्रकाश डालती है और एक रोमांचक पठन अनुभव प्रदान करती है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2026
ISBN: 9780143481263
Length : 208 Pages
MRP : ₹350.00