इतिहास इतिहास के पृष्ठों पर लिखा जाने से बहुत देर पहले कुछ लोगों की देह पर लिखा जाता है। ऐसा मानना है दलीप कौर टिवाणा जी का। इसलिए उन्होंने अपनी यह आत्मकथा उन्हीं लोगों को समर्पित की है जो अपनी देह पर इतिहास का लिखा जाना झेलते हैं। इस पुस्तक में लेखिका ने अपने जीवन की तमाम अनछुई बातों का बेबाकी से चित्रण किया है। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज एवं साहित्य को समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें जीवन संघर्ष की राह पर अनेक कष्ट भोगने पड़े, जिन सबका चित्रण इस पुस्तक में दिया गया है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN: 9780143474166
Length : 208 Pages
MRP : ₹299.00