Publish with Us

Follow Penguin

Follow Penguinsters

Follow Penguin Swadesh

Lankesh / लंकेश

यह पुस्तक भारत के सबसे विख्यात महाकाव्य रामायण और इस कारण भारत के सबसे बड़े खलनायक, रावण, को विस्तार से जानने की राह खोलती है। यह पुस्तक भारत के सबसे बड़े खलनायक का विस्तृत विश्लेषण करती है। इस ज्ञानी और महान राजा के कर्मों के कारण उसके राज्य और परिवार पर आपत्ति आई। यह पुस्तक रावण के पतन के कारण समझाने का प्रयास करती है। रावण को समझने से हम अपने आप को और अपने तथा अन्य लोगों के भीतर के रावण को समझ सकते हैं। यहाँ रावण एक मनोवैज्ञानिक अवस्था के लिए रूपक हैं।

Ponniyin Selvan 3

Fear and suspicion abound as rumours of Arulmozhi Varman’s death at sea spread throughout the Chozha land. Anger grows against the powerful, scheming Pazhuvettaraiyars. As leaders scramble to handle the fallout, Nandini Devi, the captivating wife of the elder Pazhuvettaraiyar, continues her machinations against the Chozha royal family. She vows that the sword of the last Pandiyan king—killed by Prince Aditta Karikalan—will take the lives of countless enemies.
Astute he may be, but is Chief Minister Aniruddhar Brahmarayar up to the task of diplomacy in such a volatile political climate? Can Princess Kundavai fight her way through the web of political intrigue and deceit in which she is trapped? Will valiant Vandiyatevan continue to surmount the colossal challenges fate throws at him?
Kalki paints a study in contrasts in The Slaying Sword, the third in the Ponniyin Selvan series, and Gowri Ramnarayan translates his world of conflicts with empathy and adroitness.

Adhyatan/अद्यतन

सच्चिदानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ को प्रतिभा-सम्पन्न कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य के कुशल चितेरे, ललित-निबंधकार, संपादक और सफल अध्यापक के रूप में जाना जाता है। उनकी यह कृति निसंदेह गद्य साहित्य को एक नया मोड़ प्रदान करती है। हिंदी कहानी और गद्य साहित्य को आधुनिकता की दिशा में एक नया और स्थायी पड़ाव देने का श्रेय भी ‘अज्ञेय’ को प्राप्त है। इस पुस्तक में दिए गए निबंधों को पढ़कर आभास होता है कि निस्संदेह वे आधुनिक साहित्य के एक शलाका-पुरुष थे, जिसने हिंदी साहित्य में भारतेंदु के बाद एक-दूसरे आधुनिक युग का प्रवर्तन किया। यह पुस्तक आम पाठकों के साथ-साथ हिंदी साहित्य के शोधार्थियों और सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए एक उत्कृष्ट रचना है।

Apradhi/अपराधी

अपराधी एक ऐसा उपन्यास है, जिसमें पराधीन काल में पुलिस द्वारा रस्सी का साँप बनाए जाने की गाथा उकेरी गई है। यह ठाकुरों के जमाने की कहानी है। इसमें ठाकुरों की ईर्ष्या, द्वेष का भी चित्रण है और पुलिस की मनमानी और सज्जन आदमी को भी अपराधी ठहराने के हथकंडों की दास्तान है। यह पुस्तक रोंगटे खड़े कर देने वाली ऐसी कहानी बयां करती है, जिसे पढ़कर हर कोई सिहर उठेगा। लेकिन एक बार पढ़ना शुरू करेगा तो पाठक इसे पढ़कर ही दम लेगा।

Begane Ghar Mein/बेगाने घर में

मंजुल भगत की इस कृति में तीन लघु उपन्यास संग्रहीत हैं—बेगाने घर में, लेडीज़ क्लब और टूटा हुआ इंद्रधनुष।
नई ज़मीन पर लिखे गए सशक्त उपन्यास बेगाने घर में को पढ़ते हुए अनुभव होगा कि एकाकीपन से उपजी पीड़ा धनहीनता की पीड़ा से कहीं अधिक कष्टकर है।
लेडीज़ क्लब सामयिक परिस्थितियों में उभरा एक सामाजिक व्यंग्य है। इसमें दोहरेपन को जीते लोग हैं और उनके खोखले आदर्श हैं। परिस्थितियों की विषमताओं से उत्पन्न कुंठा व संत्रास है।
टूटा हुआ इंद्रधनुष जीवन और उसके सत्यासत्यमूलक पहलुओं पर विचार करता है। इस उपन्यास में शरीर की वास्तविकता, जन्म और यौवन, क्षणिक अनुभूति की महत्ता प्रतिपादित की गई है।

Chhoti Si Baat/छोटी सी बात

‘छोटी-सी बात’ रांगेय राघव का अत्यंत लोकप्रिय एवं पठनीय उपन्यास है। कलेवर में भले ही यह लघु है परंतु अपने कथ्य में अत्यंत विराट है। कुल मिलाकर यह उपन्यास एक जीवंत दस्तावेज़ है।
पत्र शैली में लिखा गया यह उपन्यास नारी एवं पुरुष के संबंधों पर एक नए दृष्टिकोण से सोचने को विवश करता है। यह एक अत्यंत रोचक उपन्यास है। इस पर एक टेलीफिल्म का निर्माण भी हो चुका है।

Dasta Ke Naye Rup/दास्ता के नए रुप

‘दासता के नए रूप’ में उपन्यासकार ने स्वातंत्र्योपलब्धि के अनंतर देशवासियों की दास मनोवृत्ति और पतित आचरण का विश्लेषण किया है। इस दिशा में उनकी यह अत्यंत सफल अभिव्यक्ति कही जा सकती है। उनका कहना है कि सत्ताधीश लोग मनुष्य को दासता की शृंखलाओं में बाँधने का यत्न करते रहे हैं। राजनीतिक सत्ता अथवा आर्थिक व सामाजिक प्रभुत्व प्राप्त करके लोग अन्य मनुष्यों को अपनी सत्ता प्रभाव के अधीन रखने के लिए अनेकानेक प्रकारों का प्रयोग करते हैं। ये दासता उत्पन्न करने के उपाय हैं।

Dhoop Chhanw/धूप छांव

यह उपन्यास जीवन के उजले और अंधेरे पक्ष को आधार बनाकर लिखा गया है। जीवन में दिन हमेशा एक जैसे नहीं रहते, कभी ख़ुशी तो कभी गम भी झेलना पड़ता है। जीवन इसी का नाम है। कोई कितना भी धनी हो, वह भी दुखों और चिंता की चपेट में आता है और कोई कितना भी निर्धन हो, वह भी सुखी पलों में मुस्कराता है। जीवन की यही सच्चाई है और इसी सच्चाई का चित्रण इस उपन्यास में किया गया है। यह उपन्यास बेहद ही रोचक एवं मार्मिक है।

Dibiya Chandi Ki/डिबिया चाँदी की

उमा त्रिलोक की इन कहानियों को पढ़कर अहसास होता है कि ये तो अपने आसपास के पात्रों पर ही आधारित हैं। इन कहानियों की भाषा एवं शैली अत्यंत प्रभावशाली है और भाषा का मिठास भी अपनी ही वाणी जैसा नजर आता है। निस्संदेह ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ-साथ पाठक को कल्पनालोक में भी ले जाती हैं और भावनाओं के भंवर में भी गोते लगवाती हैं। कुल मिलाकर ये कहानियाँ हरेक उम्र के पाठक के लिए पठनीय ही नहीं वरन संग्रह करने योग्य भी हैं।

Dilli Ke Dangal Mein/दिल्ली के दंगल में

निर्भय हाथरसी बहुत ही प्रतिभाशाली कवि थे। मंच पर वे बिना लिखे ही कविता पढ़ते थे। लेकिन वे मंचों पर अपनी बेलाग बेबाक तथा कटाक्षपूर्ण टिप्पणियों के लिए भी प्रसिद्ध थे। इस संग्रह में उनकी ऐसी कविताएँ हैं, जो उन्होंने मंचों पर सीधे पढ़ी और बाद में लिखी। निर्भय हाथरसी की हास्य कविता ‘मारे गए मलखान दिल्ली के दंगल में. . .सिंडीकेट मैदान दिल्ली के दंगल में।’ एक ऐसी कविता है, जिसका पाठ विदेशों तक में आज भी होता है। कविताओं का यह संकलन अपने आप में अद्भुत है, इसमें हास्य कविताएँ भी हैं, तो व्यंग्य भी हैं और साथ ही कटाक्ष भी इन कविताओं में देखा जा सकता है। राजनीति और देश की आबोहवा को भी ये कविताएँ रेखांकित करती हैं।

error: Content is protected !!