क्या आप जानते हैं कि हिंदी के प्रसिद्ध लेखक अभिमन्यु अनत ‘मारिशस’ के निवासी थे और जिनके ढेर सारे उपन्यास और कहानी-संग्रह भारत में प्रकाशित हुए?
उन्हीं अभिमन्यु अनत का बेहद रोचक और साहस से भरपूर उपन्यास है जयगांव के बहादुर।
यह उस बहादुर युवक की रोमांचक कहानी है, जिसने एक अत्याचारी के चंगुल से गाँव को मुक्त कराया और फिर जिस गाँव में अमन-चैन की मधुर बंसी बजने लगी।
पढ़िए और समझिए इस बात को कि अगर हम में साहस है, जूझने की शक्ति है, तो कभी कोई हमारे साथ अन्याय और अत्याचार नहीं कर सकता।
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Chautha Saptak/चौथा सप्तक
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ’अज्ञेय’ द्वारा 1943 ई० में नई कविता के प्रणयन हेतु सात कवियों का एक मंडल बनाकर तार सप्तक का संकलन एवं संपादन किया गया। चौथा सप्तक अज्ञेय द्वारा संपादित हिंदी के 7 कवियों की कविताओं का संग्रह है। इस काव्य संग्रह का प्रथम प्रकाशन 1979 ईस्वी में हुआ था। नाम के आधार पर यह पुस्तक अज्ञेय द्वारा संपादित तीन सप्तकों—तार सप्तक, दूसरा सप्तक तथा तीसरा सप्तक की सात कवियों की कविताओं के संग्रह के क्रम से जुड़ती है। इसमें अवधेश कुमार, राजकुमार कुम्भज, स्वदेश भारती, नन्दकिशोर आचार्य, सुमन राजे, श्रीराम वर्मा, राजेन्द्र किशोर की रचनाएँ संकलित हैं।
Sandesh Wahak/संदेश वाहक
“प्रख्यात उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली की उपन्यास शृंखला तोड़ो कारा तोड़ो पर आधारित यह नाट्य रूपांतर है। इसमें स्वामी विवेकानन्द के जीवन और दर्शन को नाटकीय ढंग से खूबसूरती के साथ उकेरा गया है। स्वामी जी ने सतत संघर्ष किया। उनका व्यक्तित्व आकर्षक था, वाणी ओजपूर्ण थी, जो भी उन्हें देखता, सुनता उसपर जादू का सा असर होता, वह दीवाना हो जाता। युवाओं को तो उन्होंने पागल-सा बना दिया था। वह योद्धा संन्यासी थे। इसी नाटक में कहा गया है कि ‘कौन-सा गुण था, जो स्वामी जी में नहीं था। मानव के चरम विकास की साक्षात मूर्ति थे वे। भारत की आत्मा और स्वामी जी एकाकार हो गए थे।’
Tulsidas/तुलसीदास
परहित बस जिन्ह के मन माहीं। तिन्ह कहुं जग दुर्लभ कछु नाहीं।। (जिनके मन में सदा दूसरों की भलाई का विचार रहता है, उन्हें संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं होती है।) ‘रामचरित’ के अमर गायक महाकवि तुलसीदास चार शताब्दियों से भारतीय जनमानस में श्रद्धा-पुरुष की तरह विराजते रहे और आगे भी युग-युगों तक गोस्वामी जी और उनकी रचनाएँ चिरस्मरणीय रहेंगी। यह पुस्तक हिन्दी के उन्हीं भक्त कवि गोस्वामी तुलसीदास के जीवन-परिचय, लोकप्रिय दोहों-चौपाइयों तथा अन्य काव्य-महिमा को अपने में समेटे हुए है। इस संकलन का संपादन प्रसिद्ध लेखक सुदर्शन चोपड़ा ने किया है तथा काव्य-खंड का चयन और टीका तुलसी-साहित्य के मर्मज्ञ पीएस भाकुनी ने की है।
Aabha/आभा
लौह-लेखनी के धनी आचार्य चतुरसेन शास्त्री का यह उपन्यास असाधारण परिस्थितियों में फँसी आधुनिक नारी की करुण गाथा है। इस रोमांटिक उपन्यास में लेखक ने स्त्री-पुरुष संबंधों का बहुत ही मार्मिकता से उद्घाटन किया है।
वरदान और अभिशाप के बीच झूलती नारी अपना संतुलन खो बैठती है और ऐसे घटनाचक्र से होकर गुज़रती है, जिसके लिए वह बिलकुल तैयार न थी। आभा में उसके मोह भंग की कहानी पढ़ने को मिलेगी।
लेखक ने इस उपन्यास में चरित्रों को असाधारण परिस्थितियों में रखकर जैसा विश्लेषण किया है, उससे पाठक प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे। साथ ही पढ़िए पति-पत्नी के बीच अनूठे संघर्ष की मर्मस्पर्शी कहानी ‘द्वंद्व।’
Aakhiri Aawaaz/आखिरी आवाज़
रांगेय राघव के सामाजिक उपन्यासों में यह उनका अंतिम उपन्यास है। इसमें स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद बदलते हुए ग्राम्य-जीवन का चित्रण है। देहाती जीवन की दलबंदी, मुकदमेबाज़ी, भ्रष्टाचार और राजनीति संबंधी अनेक घटनाएँ हैं, जिन्हें बड़े विस्तार और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। कई आलोचकों ने इस उपन्यास को प्रेमचंद की परंपरा से भी जोड़ा है। हिरदेराम मुख्य प्रभावी पात्र है जो ग्रामीण जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। गोविन्द दुश्चरित्र व्यक्ति है। नारी पात्रों में निहाल कौर निर्लज्ज, चरित्रहीन युवती है। चंपा, चमेली भी ऐसी ही हैं जो शारीरिक संबंध बनाने में बहुत तेज झलक भी मिलती है। कथोपकथन व्यंव्यंग्यात्मक शैली में है। लेकिन इस उपन्यास की लेखन परिपक्वता अपने आप में बेजोड़ है।
Adbhut Brahmand/अद्भुत ब्रह्मांड
“क्या आप जानते हैं—
• कि जिस धरती पर हम शांतिपूर्वक और स्थिरता से रहते हैं, वह खुद जरा भी शांत और
स्थिर नहीं रहती और 1,00,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सूर्य का चक्कर लगाती
रहती है?
• कि मानव-निर्मित सबसे तेज गति के यान से भी बहुत तेज गति से यह पृथ्वी रूपी यान
365 दिनों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है और हमें इसका ज़रा भी अहसास नहीं होता?
• कि इसी के साथ यह धरती 1,669.8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपनी धुरी पर
भी घूमती रहती है और उसी से दिन और रात बनते हैं?
• कि सूर्य भी एक तारा है और हमारी आकाशगंगा में उस जैसे 200 अरब से ज़्यादा तारे और
10 खरब से ज़्यादा ग्रह हैं?
• कि हमारा सौरमंडल हमारी जिस आकाशगंगा का सदस्य है, वह खुद भी आकाशगंगाओं के
एक लोकल ग्रुप की सदस्य है और वह लोकल ग्रुप भी अपने से बड़े किसी समूह का सदस्य
है, और यह सिलसिला इसी तरह जारी है?
ऐसी ही अद्भुत जानकारी देती है यह पुस्तक।”
Adhura Sapna/अधुरा सपना
“कोमल के प्यार की कली अपने प्रेमेरी के सुखद स्पर्श से सहसा फूल बनकर खिल उठी। कोमल ने देखा कि उसका चहेता अतीत को काली-अंधियारी घड़ियों को सच्चे दिल से भुलाकर, उसे वरना चाहता है। बस, उसके अंतर के अमिट अंधकार में खुशियों के सैकड़ों सूरज एक साथ चमक उठे। वह जीने की लालसा से भर गई और प्रिय के लिए अपने हृदय में प्रणय की सेज सजाने लगी!
एक ऐसी सुकुमारी की रोमांटिक कहानी, जो ठगी गई—कभी पुरुष के हाथों, कभी भाग्य के हाथों।
लेखक धर्मवीर कपूर का एक बहुचर्चित उपन्यास।”
Albert Einstein/ऐल्बर्ट आइंस्टीन
आइंस्टाइन को थ्योरिटिकल फ़िज़िक्स का महान वैज्ञानिक, आधुनिक भौतिक विज्ञान का पितृपुरुष, एक विलक्षण गणितज्ञ, प्रतिभा और मेधा का पर्यायटा्टय तथा मिस्टर रिलेटिविटी कहकर सम्मानित किया जाता है। बाद में तो लोग उन्हें अंतरिक्ष का बाशिंदा और जीवश्म तक कहने लगे।
वे परम ज्ञानी और प्रखर वक्ता भी थे। जब भी वे बोले, तो गणित, विज्ञान, ब्रह्मांड, दर्शन, गॉड, राजनीति सभी पर बोले। उन्होंने विज्ञान के जितने भी सिद्धांत दिए, सभी को दूसरों से प्रमाणित करवा कर लोहा मनवाया। यहाँ तक कि E = mc2 की विनाशक शक्ति का भी सत्यापन कराया।
इसी सूत्र के कारण परमाणु बम बना, लेकिन विरोधाभास देखिए कि विश्व शांति के लिए ज़ोर-शोर से लगे रहे। बचपन का यह बुद्ध बालक नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया। वह गैलीलियो और न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों के बराबर माने गए और सादगी में गांधी से दो कदम आगे।
Anubhav/अनुभव
पति में प्रेमी का रूप देखने की तड़प लिए हुए एक युवती की मर्मस्पर्शी कहानी। एक ऊँची साहित्यिक कृति पर बनी एक शानदार तथा सफल फिल्म की सचित्र स्क्रिप्ट। यह पटकथा पाठक को ऐसा अहसास कराती है जैसे की वह सिनेमा हाल में बैठा फिल्म ही देख रहा है। इस पुस्तक में फिल्म के कुछ रियल फोटो भी दिए गए हैं। वास्तव में शोधार्थियों, फिल्मों शौकीनों और आम पाठकों के लिए यह पुस्तक एक दस्तावेज़ की तरह है।
