Meera has just landed her first big Bollywood film after years of struggling, loneliness and despair.
For Dabloo, who is fighting to make ends meet, this year has brought both the lowest and highest points of his career.
Aspiring TikTok star Jayesh, unlucky in love and films, might just discover his métier the hard way.
Embroiled in #MeToo allegations, the puppet master of the casting couch, Micky Taneja, might be able to find his true love and work again.
As the paths of these strugglers collide, broken relationships give way to unexpected ones, projects are found and lost, and repressed pasts resurface in their shiny new lives. In the face of a real-life climax, each is forced to reckon if they’re the hero or villain of their own story.
A smoke-and-mirrors story decked in acerbic humour and grief, Take No. 2020 is a story within a story, where reality is nothing except what you believe in.
गीतांजलि रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा मूलतः बांग्ला में रचित गीतों (गेयात्मक कविताओं) का संग्रह है। ‘गीतांजलि’ शब्द ‘गीत’ और ‘अञ्जलि’ को मिलाकर बना है जिसका अर्थ है—गीतों का उपहार (भेंट)। वैसे रवीन्द्रनाथ सूफी रहस्यवाद और वैष्णव काव्य से प्रभावित थे। फिर भी संवेदना चित्रण में वे इन कवियों को अनुकृति नहीं लगते। जैसे मनुष्य के प्रति प्रेम अनजाने ही परमात्मा के प्रति प्रेम में परिवर्तित हो जाता है। वे नहीं मानते कि भगवान किसी आदम बीज की तरह है। उनके लिए प्रेम है प्रारंभ और परमात्मा है अंत! सिर्फ इतना कहना नाकाफी है कि >i>गीतांजलि के स्वर में सिर्फ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है। धारदार तरीके से उनके मूल्यबोधों के ख़िलाफ। हालाँकि पूरी गीतांजलि का स्वर यह नहीं है। उसमें समर्पण की भावना प्रमुख विषय वस्तु है। यह रवीन्द्रनाथ का संपूर्ण जिज्ञासा से उपजी रहस्योन्मुख कृति है।
एडगर एलन पो न केवल कवि हैं, बल्कि एक महान कहानीकार भी हैं। वे अपनी कहानियों में एक ऐसा रहस्यमय वातावरण पैदा कर देते हैं कि पाठक रोमांचित हो जाता है। कल्पना की उड़ान भरने में तो उनके सामने बड़े-बड़े लेखक भी फीके पड़ते हैं। कविता और कहानी के अतिरिक्त उन्होंने आलोचनात्मक साहित्य भी लिखा है। लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व लिखी हुई उनकी कहानियाँ आज भी वैसी ही लोकप्रिय हैं, जैसी उस समय थीं। उनकी कला को देश और काल की सीमाएँ नही बाँध सकी।
वैसे तो पो की छाप साहित्य के सभी अंगो पर पड़ी, परंतु अंग्रेज़ी के कहानी साहित्य को जितना पो ने प्रभावित किया, उतना किसी और लेखक ने नही। अमेरिका के महान साहित्यकार एडगर एलन पो रहस्य-रोमांच की कहानियों के जादूगर माने जाते हैं। इस पुस्तक में इनकी पाँच श्रेष्ठ कहानियाँ संकलित हैं।
‘धरती अति सुंदर किताब, चाँद-सूरज की जिल्दवाली, पर खुदाया यह दुख-भूख, सितम और ग़ुलामी यह तेरी इबादत है या प्रूफ़ की ग़लतियाँ।’—अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम ने भारत विभाजन का दर्द सहा और बहुत करीब से महसूस किया था, इसलिए इनकी कहानियों में आप इस दर्द को महसूस कर सकते हैं। इनकी कहानियों में महिला पात्रों की पीड़ा और वैवाहिक जीवन के कटु अनुभवों का अहसास भी पाठक को सहज ही हो जाता है। इनकी कहानियाँ भारतीय समाज का जीता-जागता दर्पण हैं और कहानी के पात्र पाठकों को अपने इर्द-गिर्द ही नज़र आते हैं, इसलिए लोकप्रियता के जिस शिखर को इन्होंने छुआ, वह केवल इन्हीं के वश की बात हो सकती है।
इस पुस्तक के बारे में स्वयं लेखक लिखते हैं कि सोचा तो यही था कि आत्मकथा लिखने में क्या है। जो घटित हुआ, वही तो लिखना है; किंतु लिखते हुए ज्ञात हुआ कि आत्मकथा में समस्या लेखन की नहीं, चयन की है। क्या लिखना है और क्या नहीं लिखना है। अपना सत्य लिखना है, किंतु दूसरों के कपट का उद्घाटन नहीं करना है; क्योंकि उसमें स्वयं को महान् बनाने की चेष्टा देखी जा सकती है वे घटनाएँ जो अपने लोगों को आहत करती हैं और वे घटनाएँ, जो लेखक की आत्म-भर्त्सना के रूप में उसे गौरवान्वित करती हैं। लेखक उन गुणों से भी स्वयं को अलंकृत कर सकता है, जो उसमें हैं ही नहीं और वह अपने दोषों को इस प्रकार भी प्रस्तुत कर सकता है कि वे गुण लगें। नंगा सत्य बोलना बहुत कठिन होता है; उसकी लपेट में लेखक स्वयं तो आता ही है, वे लोग भी आ जाते हैं, जिनके विषय में सत्य बोलने का अधिकार लेखक को नहीं है। इसलिए मैंने सपाट सत्य भी लिखा है और जहाँ आवश्यकता पड़ी है, वहाँ सृजनात्मकता का झीना पर्दा भी डाल दिया है। प्रयत्न यही है कि मेरा सत्य तो पाठकों के सामने आए, किंतु उसकी लपेट में अन्य लोग न आएँ।
लोक कहे मीरा भई बावरी, भ्रम दूनी ने खाग्यो। कोई कहैं रंग लाग्यो। (लोग कहते हैं कि मीरा पागल हो गई है। यही भ्रम दुनिया को खा गया है। कोई कहता है, यह तो प्रेम लग गया है अर्थात मीरा का भक्ति-भाव कृष्ण में आत्मसात हो गया है।) सचमुच मीरा कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो गई थी। मीरा ने स्वयं को कृष्ण की दासी के रूप में साकार कर लिया। प्रभु-चरणों के निकट वह भाव-विभोर होकर नाचती थी। माया-मोह, नाते-रिश्तों से दूर वह कृष्णमय हो गई थी। उसके तो सिर्फ गिरधर गोपाल थे, दूसरा कोई नहीं था। अपार सौंदर्य की धनी, सुख-वैभव में रही, पर उसने सर्वस्व त्याग दिया। न जाने कितने कष्ट और अत्याचार सहे, फिर भी गोविंद के गुण गाती रही। भक्ति-काल की अद्भुत कवियित्री थी मीरा और सरस-मधुर कंठी की धनी भी, जिसके पद आज भी जन-जन में प्रिय हैं। मीरा की पदावली को लोग बड़े भक्ति-भाव से गाते हैं। साथ ही पढ़िए मीरा की मार्मिक जीवनी भी।
संत-भक्त कवियों में सबसे अलग और विशिष्ट स्थान है कबीर का।
सधुक्कड़ी भाषा में फक्कड़पन से जो कुछ कह गए दास कबीर, वैसा तीखा और विद्रोही स्वर किसी का न रहा। भारतीय जन-मानस पर कबीर की अमिट छाप है, जिन्होंने धर्म, जाति, आडंबरों और अंधविश्वासों पर तीखा प्रहार किया। कबीर के भजन, उनके दोहे और कुंडलियाँ जो कि उन्होंने रचीं, एक-एक रचना में वह अपने ठेठ ढंग से जीवन को सही तरह से जीने की प्रेरणा देते हैं तथा मानव-मात्र की एकता पर बल देते हैं। पढ़िए संत कवि की रोचक जीवनी और रचनाएँ।
इस संकलन में केवल उन्हीं कहानियों को चुना गया है, जो इतनी अधिक मशहूर हो गई है कि जिनका नाम लेने से सहसा प्रेमचंद का नाम होंठों पर आ जाता है। ये वे कहानियाँ हैं, जिन पर फिल्में बनीं, जिनके नाट्य−रूपांतरों का प्रदर्शन हुआ, देश−भर के स्कूल−कॉलेजों में पढ़ाई जाती हैं या तो बार−बार विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुदित हो चुकी हैं। इस संकलन की सभी कहानियाँ अपने आप में बेहद अद्भुत एवं कालजयी हैं।
बंगला-साहित्य में छोटी कहानियों का सूत्रपात करने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर ही हैं। एक समालोचक ने इनकी कहानियों के संबंध में लिखा है कि रवीन्द्रनाथ का काव्य चाहे चिरजीवी हो या न हो, पर ये कहानियाँ उन्हें निश्चित रूप से अमर कीर्ति देंगी। रवीन्द्र बाबू की ऐसी ही लोकप्रिय कहानियों का यह संग्रह अपने में विविधता और उत्कृष्टता लिए हुए है। बेहद मार्मिक ये कहानियाँ पाठक को बाँध लेती हैं।
विश्व के महान साहित्यकार >b>रवीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे अग्रणी लेखक थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार जैसे विश्वस्तरीय सम्मान से विभूषित किया गया। उनकी अनेक कृतियाँ प्रमुख भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित होकर चर्चित हुई हैं।
अमर महात्मा स्वामी श्रद्धानन्द का नाम नवीन भारत के निर्माताओं में बहुत ऊँचा है। पंजाब के एक छोटे-से प्रदेश तलवन में जन्म लेकर आप महर्षि दयानंद की जगाई ज्योति को लेकर आगे बढ़े और पहले हिमालय की उपत्यका में गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना करके, संन्यास लेने के बाद, महात्मा गाँधी के साथ स्वाधीनता-युद्ध के प्रमुख सेनानी बने। स्वामीजी का जीवन किसी भी महाकाव्य के नायक से कम रोमांचपूर्ण नहीं है। पत्नी के स्वर्गवास के बाद आपका हिमालय के घने जंगलों में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना करना, भारत की अध्यात्म ज्योति को पुनर्जीवित करने के लिए अनेक सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अकेले युद्ध करते हुए प्राण-त्याग करने की कहानी किसी भी उपन्यास से अधिक रोचक और प्रेरणाप्रद है।