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Teesri Kasam / तीसरी कसम

पति-पत्नी के संबंधों के बीच यदि कोई तीसरा आ जाए तो क्या वे सही जीवन जी पाते हैं? इस उपन्यास में भी कैलाश और अश्विनी के बीच एक तीसरा आया है। वह कौन है? प्रेमी, माता-पिता या सिर्फ गलतफहमी? इसका सही उत्तर पाने के लिए यह उपन्यास पढ़िए, जिसमें प्रेम अपनी चरम सीमा को छू रहा है। पीड़ा और कौतूहल अंत तक कथा के साथ चलते हैं और एक गहरी संवेदना के साथ उपन्यास समाप्त होता है।

Telgu Ki Shreshtha Kahaniyan / तेलुगु की श्रेष्ठ कहानियाँ

इस पुस्तक की कहानियों को पढ़कर दक्षिण भारत की सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं का अनायास ही आभास हो जाता है। हरेक कहानी पाठक के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है।
तेलुगु की कुछ श्रेष्ठ कहानियों में अडवि बापिराजु की भावना प्रधान और ऐतिहासिक प्रेम कहानियाँ, गुरजाड अप्पाराव की व्यंग्य प्रधान कहानियाँ, कविकोंडल वेंकटेश्वरराव की ग्राम्य जीवन पर कहानियाँ, चलम की विद्रोह और क्रांति का प्रतीक कहानियाँ, सुखरम प्रताप रेड्डी की कहानियाँ और मुनिमाणियम् नरसिंहराव की हास्य रस वाली कहानियाँ शामिल हैं। यह सभी कहानियाँ सीधे तेलुगु से हिंदी में अनुवाद की गई हैं।

Us Paar / उस पार

एक महारानी ने किस प्रकार आचार्यजी के द्वारा दूसरी रानी की हत्या करानी चाही? एक व्यक्ति ने फिल्म प्रोड्यूसर बनकर किस तरह आचार्यजी को ठगा?
किन-किन मार्मिक परिस्थितियों में उन्हें चार शादियाँ करनी पड़ीं? अपने जीवन-काल में उन्हें कैसी-कैसी अभागिन अबलाओं के कारण मानसिक क्लेश झेलने पड़े? इस प्रकार की अनेक सच्ची तथा हृदयस्पर्शी घटनाओं का ब्यौरेवार चित्रण है इस पुस्तक में, जो आचार्य चतुरसेन के कथा-साहित्य से भी बढ़कर पठनीय है।

Vasant Sundari / वसंत-सुंदरी

“सरस्वती मैंने तुम्हारा सौंदर्य देखा है। एक ऐसा सौंदर्य, जो केवल शरीर का ही नहीं, हृदय का था, ज्ञान का था। क्या कभी पहले इस पृथ्वी पर ऐसे सौंदर्य ने जन्म लिया था?”
यह थी वसंत-सुंदरी सरस्वती, जिसका सौंदर्य सचमुच मेनका जैसी अप्सरा के रूप-लावण्य को भी मात करता था, लेकिन वह बहुत बड़ी विदुषी भी थी।
एक थे राजा इंद्रदेव, जो हर साल एक अभूतपूर्व सुंदरी का चयन करते थे, उसे एक वर्ष अपनी संगिनी बनाकर उससे एक पुत्र की प्राप्ति करते और फिर उसका किसी राजकर्मी से विवाह करा देते थे। यह विकृत और घृणा करने योग्य प्रथा थी, पर जो भी राजाज्ञा का उल्लंघन करता, उसके परिवार को मृत्यु-दंड भोगना पड़ता। सरस्वती ने प्रण किया कि वह सबको बचाने के लिए और राजा को उद्दंडतापूर्ण कार्यों से रोकने के लिए अपने आपको समर्पित कर देगी।
उसने ऐसा ही किया अंत में राजमहल का सुख त्याग कर भिक्षुणी बन गई। फिर एक दिन ऐसा आया कि ‘संघ’ के भिक्षु वासुमित्रा के साथ संन्यास त्याग गृहस्थ आश्रम में प्रवेश कर लिया और एक पुत्र को जन्म दिया।
. . .और एक दिन फिर अपने धर्म, दर्शन और संस्कृति के बीज घर-घर में रोपने के लिए निकल पड़ी श्वेत वस्त्र धारण करके।

Vipradas / विप्रदास

यदि किसी को भारत के ग्राम्य जीवन के दर्शन करने हों तो उसे शरतचंद्र के उपन्यास पढ़ लेने चाहिए, बस सारा भारत चलचित्र की भाँति ही उसकी आँखों के सामने हाजिर हो जाएगा।
समाज के तथाकथित उच्च, विशेषतया ब्राह्मण वर्ग में पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों का कितना और किस प्रकार शोषण किया जाता रहा है, इस का प्रत्यक्ष उदाहरण है शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का बहुचर्चित उपन्यास ‘विप्रदास’।
ऊँच-नीच, छुआछूत, संध्या पूजा आदि पाखंडों के चलते समाज में सरल हृदया नारियों की कोमल भावनाओं से कैसे खिलवाड़ किया जाता है—यह भी विप्रदास का प्रमुख वर्ण्य विषय है। परंपरागत बंधनों से मुक्त होने की छटपटाहट को रेखांकित करना शरतचंद्र की प्रमुख विशेषता है, जो विप्रदास में भी सहज ही देखी जा सकती है। इसका अनुवाद सीधे बंगाली भाषा से किया गया है।

Vishwa Ki Classic Kahaniyan / विश्व की क्लासिक कहानियाँ

इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, नार्वे, रूस, स्वीडन आदि देशों की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को दर्शाती 15 महान कहानियों का अनुपम संकलन साहित्य समाज का दर्पण होता है! इसलिए यदि किसी देश की सभ्यता संस्कृति और इतिहास की अतल गहराई में उतरना चाहते हैं, तो उस देश के कथा-साहित्य को पढ़ डालिए, बस आपके मन की मुराद पूरी हो जाएगी। इस संकलन में इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, नार्वे, स्वीडन, रूस, बेल्जियम, चेकोस्लोवाकिया आदि देशों के महान कथाकारों की प्रसिद्ध कहानियों को संकलित किया गया है। इन कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें अनुवाद करते समय मूल लेखकों की भावनाओं को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखा गया है, साथ ही उनकी शैली का भी रसास्वादन होता है। अत्यंत सरल एवं सरस भाषा में रूपांतरित ये कहानियां वास्तव में दर्जनभर से अधिक देशों के सांस्कृतिक दर्पण का कार्य करने में सक्षम हैं। ये कहानियां उत्कृष्टता की दृष्टि से अपनी कसौटी पर खरी उतरती हैं, इसलिए कालजयी कथाओं की श्रेणी में स्थान पाने में सफल हुई हैं।

Narendra Kohli Ki Yaadgari Kahaniyan / नरेन्द्र कोहली की यादगारी कहानियाँ

नरेन्द्र कोहली की यादगारी कहानियां साहित्य से अधिक पाठकों की अपेक्षा पर ज़्यादा खरी उतरती हैं। कथा चरित्रों एवं पात्रों के माध्यम से आधुनिक समाज की समस्याओं और उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना नरेन्द्र कोहली की अनन्यतम विशेषता है। कोहली जी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक परिचय कराया है। इसलिए इनकी कहानियां मनोरंजन के साथ-साथ प्रेरणाप्रद भी हैं और मार्गदर्शक भी। इस संकलन में सभी कहानियां मूल प्रामाणिक पाठ के साथ दी गई हैं, ताकि पाठकों के साथ-साथ ये शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी हों। कालजयी कथाकार एवं मनीषी डॉ नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है। कोहली जी ने साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं (यथा उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (संस्मरण आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी कलम चलाई। उन्होंने शताधिक श्रेष्ठ ग्रंथों का सृजन किया।

Yugdrishta / युगद्रष्टा

बीसवीं सदी के सर्वाधिक प्रसिद्ध दार्शनिक थे बर्ट्रंड रसल। सन 1872 में जन्मे रसल ने वर्तमान समय की नब्ज़ को टटोला, गहरा चिंतन-मनन किया, सभी जटिल समस्याओं पर उनकी प्रखर मेधा की पकड़ ने उन्हें महान विचारक बनाया।
नैतिक, सामाजिक, राजनैतिक और अंतरराष्ट्रीयता के व्यावहारिक सिद्धांतों के अतिरिक्त रसल ने जीवन और जगत के अन्य पहलुओं पर विचार व्यक्त किए। वे मानव जीवन में प्रेम और सौंदर्य के प्रबल पक्षधर थे। उनके अनुसार इसी से आनंद की धारा बहती है और संपूर्ण मानव जाति की रक्षा संभव है।
मिथ्या आदर्श उन्हें कभी पसंद नहीं आए। सत्य और यथार्थ उनकी पूँजी थे। न वे स्वयं किसी भ्रम में रहे, न उनके दर्शन में ही ऐसा कुछ था। वे तो मानव-कल्याण के कुशल दार्शनिक थे।
इस पुस्तक में इसी युग द्रष्टा का जीवन परिचय और सरल-सुबोध भाषा में उनके दर्शन को प्रस्तुत किया गया है।

Vishwa Ke Mahan Purush Maharshi Dayanand / विश्व के महान पुरुष महर्षि दयानन्द

आधुनिक भारत के क्रान्तिकारी मध्यमानव थे महर्षि दयानन्द, जिन्होंने इस देश के नवनिर्माण का सपना देखा और उसे साकार करने में अपना सारा जीवन होम दिया। वह आर्य समाज के संस्थापक थे और दासता की बेड़ियों में जकडे भारत देश को मुक्त कराना चाहते थे। स्वराज्य, दलितोद्वार, राष्ट्रीय एकता, देशभक्ति, स्वदेशी, एक भाषा तथा पंचायत राज के वे सर्वप्रथम उदृघोषक थे। उस काल में समूचे देश में नयी क्रान्ति के बीज बीए, जिसकी फसल काटी बाद की पीढ़ियों ने। उन्हीं के प्रेरक व संघर्षपूर्ण जीवन तथा विचारों को प्रस्तुत किया है विद्वान आचार्य भगवान देव ने।

Soordas / सूरदास

अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी।<BR<देख्यो चाहत कमल नैन को, निसिदिन रहत उदासी।
अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी।
केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के बासी।
नेह लगाय त्याग गए तृन सम, डारि गए गल फाँसी।
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो।
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो।
हड़हड़ाती हुई तूफ़ानी नदी को आधी रात में पार करके कौडिया सर्प को रस्सी समझकर अपनी प्रेमिका तक पहुँचने वाले बिल्वमंगल को उसी के द्वारा धकिया दिया गया, तो मंगल का लुनाई के प्रति अनन्य प्रेम कन्हाई की अनन्य भक्ति में परिवर्तित हो गया और बिल्वमंगल सूरदास हो गए। इन्हीं महाकवि सूरदास की मार्मिक जीवन-कथा के साथ-साथ इस पुस्तक में उनके भजनों तथा भ्रमर-गीतों को शामिल किया गया है। भक्ति-रस और भाव से शराबोर इस पुस्तक का संपादन किया है सुप्रसिद्ध लेखक सुदर्शन चोपड़ा ने।

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