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Patthar Yug Ke Do But/पत्थर युग के दो बुत

Patthar Yug Ke Do But/पत्थर युग के दो बुत

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Paperback / Hardback

भारतीय साहित्य में अधिकतर प्यार करने वाले युवा-युवतियों की कहानियाँ पढ़ने को मिली हैं। विवाह के बाद घटने वाली घटनाओं पर बहुत कम साहित्य लिखा गया है। इस कमी को यह उपन्यास पूरा करता है। आचार्य चतुरसेन के इस उपन्यास में सभी पात्र अपने पति या पत्नियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों के प्रति आकृष्ट हैं। वे साँपों की इस घाटी में आँख मूंदकर बढ़ते चले जाते हैं और तब तक नहीं रुकते जब तक विनाश सामने नहीं आ जाता। समाज में आज भी स्त्री-पुरुष के विवाहेतर संबंध अनुचित माने जाते हैं लेकिन ये सम्बन्ध अस्वाभाविक नहीं हैं। इसी विषय-वस्तु को आधार बनाकर एक मनोरंजक वर्णन आचार्य चतुरसेन ने किया है साथ ही इसकी कथा का गठन भी ऐसा है कि पाठक के मर्म को छुए बिना न रहे। 

Imprint: Hind Pocket books

Published: Aug/2023

ISBN: 9780143462156

Length : 154 Pages

MRP : ₹199.00

Patthar Yug Ke Do But/पत्थर युग के दो बुत


भारतीय साहित्य में अधिकतर प्यार करने वाले युवा-युवतियों की कहानियाँ पढ़ने को मिली हैं। विवाह के बाद घटने वाली घटनाओं पर बहुत कम साहित्य लिखा गया है। इस कमी को यह उपन्यास पूरा करता है। आचार्य चतुरसेन के इस उपन्यास में सभी पात्र अपने पति या पत्नियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों के प्रति आकृष्ट हैं। वे साँपों की इस घाटी में आँख मूंदकर बढ़ते चले जाते हैं और तब तक नहीं रुकते जब तक विनाश सामने नहीं आ जाता। समाज में आज भी स्त्री-पुरुष के विवाहेतर संबंध अनुचित माने जाते हैं लेकिन ये सम्बन्ध अस्वाभाविक नहीं हैं। इसी विषय-वस्तु को आधार बनाकर एक मनोरंजक वर्णन आचार्य चतुरसेन ने किया है साथ ही इसकी कथा का गठन भी ऐसा है कि पाठक के मर्म को छुए बिना न रहे। 

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