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Phool Khilte Hain/फूल खिलते हैं

Phool Khilte Hain/फूल खिलते हैं

Dutt Bharti/दत्त भारती
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Paperback / Hardback

पाँच हज़ार रुपए मिल सकते हैं! और घर में एक रुपया आटा लाने को भी नहीं है।’ सविता ने कहा।
‘लेकिन सविता, ईमान इस तरह नहीं बिकता। यही तो हमारे ईमान की परीक्षा की घड़ी है। ऐसी ही घड़ीयों में तो ज़रूरत है चट्टान की तरह मज़बूत खड़े रहने की।’
एक ईममानदार और अहंवादी गरीब लेखक और उसकी सहनशील पत्नी की रूला देने वाली दर्दभरी कहानी है यह।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: May/2025

ISBN: 9780143476290

Length : 160 Pages

MRP : ₹199.00

Phool Khilte Hain/फूल खिलते हैं

Dutt Bharti/दत्त भारती

पाँच हज़ार रुपए मिल सकते हैं! और घर में एक रुपया आटा लाने को भी नहीं है।’ सविता ने कहा।
‘लेकिन सविता, ईमान इस तरह नहीं बिकता। यही तो हमारे ईमान की परीक्षा की घड़ी है। ऐसी ही घड़ीयों में तो ज़रूरत है चट्टान की तरह मज़बूत खड़े रहने की।’
एक ईममानदार और अहंवादी गरीब लेखक और उसकी सहनशील पत्नी की रूला देने वाली दर्दभरी कहानी है यह।

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Dutt Bharti/दत्त भारती

आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक दत्त भारती ने कहानी, कविताओं और लेखों के अलावा कई सौ उपन्यास लिखकर साहित्य में अपना एक अलग विशिष्ट स्थान बनाया है। घर और स्कूल से प्राप्त आर््यसमाजी संस्कार, विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देशभर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में आर्थिक संकट इन सबने आपको अति संवेदनशील, और विचारक बना दिया, जो आपके लेखन का आधार बना। आपको समाजसेवा एवं लेखन के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं। 

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