प्रगति के पथ पर गुरुदत्त का एक लोकप्रिय सामाजिक उपन्यास है, जिसमें सामाजिक बुराइयों पर कड़ा प्रहार करते हुए देश की एकता का संदेश दिया गया है। ग्रामीण भारत में सदियों से चली आ रही सामाजिक बुराइयों को केंद्र में रखते हुए इस उपन्यास का ताना बाना इस प्रकार बुना गया है कि पाठकों को लगता है कि देश को तोड़ने की नहीं जोड़ने की जरूरत है, इसलिए अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देकर जाति प्रथा का समूल विनाश कर देना चाहिए।
समाज में राजनीतिक से लेकर आर्थिक तक के कई मुद्दों को पड़ताल करने वाला यह एक काल्पनिक उपन्यास है। लिंग, जाति, या वर्ग पूर्वाग्रह जैसी सामाजिक समस्याओं को पात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव के ज़रिए इसमें इस प्रकार रेखांकित किया गया है पाठक एक बार पढ़ना शुरू करे तो वह इसे पूरा पढ़कर ही दम लेगा।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN: 9780143474210
Length : 256 Pages
MRP : ₹299.00