
सुंदरता चेहरे पर लगी दो आँखों से नहीं परखी जाती, वरन सुंदरता तो आत्मा की गहराई से अनुभव की जाती है— यह तथ्य इस उपन्यास को पढ़कर भलीभाँति समझ में आता है’ — टैगोर
बंकिमचन्द्र चटर्जी की पुस्तकें आज भी बड़े चाव से पढ़ी जाती हैं, यही कारण है कि उनके अनुवाद दुनिया की अनेक भाषाओं में हुए हैं।
रजनी बंकिमचन्द्र चटर्जी का एक अत्यंत लोकप्रिय उपन्यास है, इसमें बंकिम ने एक अंधी रमणी की दर्शन करने की व्याकुलता को जैसी सरस साकारता प्रदान की है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। इसकी कथा मानव-हृदय की करुणा से इस प्रकार ओत-प्रोत है कि मन मसोस उठता है. . . इसके अनुवादक और संक्षेपकार हैं श्रीरामनाथ ‘सुमन’।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: May/2025
ISBN: 9780143476337
Length : 96 Pages
MRP : ₹150.00