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Soordas / सूरदास

Soordas / सूरदास

Paruchay Tatha Rachnaen / परिचय तथा रचनाएँ

Ed. Sudarshan Chopra / सं. सुदर्शन चोपड़ा
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Paperback / Hardback

अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी।<BR<देख्यो चाहत कमल नैन को, निसिदिन रहत उदासी।
अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी।
केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के बासी।
नेह लगाय त्याग गए तृन सम, डारि गए गल फाँसी।
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो।
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो।
हड़हड़ाती हुई तूफ़ानी नदी को आधी रात में पार करके कौडिया सर्प को रस्सी समझकर अपनी प्रेमिका तक पहुँचने वाले बिल्वमंगल को उसी के द्वारा धकिया दिया गया, तो मंगल का लुनाई के प्रति अनन्य प्रेम कन्हाई की अनन्य भक्ति में परिवर्तित हो गया और बिल्वमंगल सूरदास हो गए। इन्हीं महाकवि सूरदास की मार्मिक जीवन-कथा के साथ-साथ इस पुस्तक में उनके भजनों तथा भ्रमर-गीतों को शामिल किया गया है। भक्ति-रस और भाव से शराबोर इस पुस्तक का संपादन किया है सुप्रसिद्ध लेखक सुदर्शन चोपड़ा ने।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Aug/2025

ISBN: 9780143478041

Length : 140 Pages

MRP : ₹199.00

Soordas / सूरदास

Paruchay Tatha Rachnaen / परिचय तथा रचनाएँ

Ed. Sudarshan Chopra / सं. सुदर्शन चोपड़ा

अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी।<BR<देख्यो चाहत कमल नैन को, निसिदिन रहत उदासी।
अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी।
केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के बासी।
नेह लगाय त्याग गए तृन सम, डारि गए गल फाँसी।
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो।
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो।
हड़हड़ाती हुई तूफ़ानी नदी को आधी रात में पार करके कौडिया सर्प को रस्सी समझकर अपनी प्रेमिका तक पहुँचने वाले बिल्वमंगल को उसी के द्वारा धकिया दिया गया, तो मंगल का लुनाई के प्रति अनन्य प्रेम कन्हाई की अनन्य भक्ति में परिवर्तित हो गया और बिल्वमंगल सूरदास हो गए। इन्हीं महाकवि सूरदास की मार्मिक जीवन-कथा के साथ-साथ इस पुस्तक में उनके भजनों तथा भ्रमर-गीतों को शामिल किया गया है। भक्ति-रस और भाव से शराबोर इस पुस्तक का संपादन किया है सुप्रसिद्ध लेखक सुदर्शन चोपड़ा ने।

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