“आप इतनी छोटी उम्र में विवाह क्यों कर लेते हैं महाराज?” मैडम ने पूछा।
इस पर नाना साहब बोले—“इसलिए कि विवाह को हम पवित्र अनुष्ठान मानते हैं।”
मैडम ने फिर पूछा—“क्या इतनी छोटी उम्र में प्रेम संभव है?”
उन्होंने उत्तर दिया—“प्रेम को हम विवाह के लिए गौण मानते हैं; मुख्य बात है आत्मा की एकता।” सुनकर अंग्रेज़ महिला विस्मय से भर उठी!
पूर्व और पश्चिम के विचारों का संगम दर्शाने वाला आचार्य जी का यह उपन्यास अपने आंचल में एक सौ साल पुराने परिवेश को समेटे हुए है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2024
ISBN: 9780143470717
Length : 224 Pages
MRP : ₹199.00