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Peta Stapleton

Peta Stapleton, Ph.D., is a registered clinical and health psychologist and associate professor at Bond University in Australia. Her most significant contribution in her research has been to lead clinical trials investigating the effectiveness of EFT for food cravings in overweight and obese adults. She speaks at conferences worldwide and delivers master classes as webinars for international audiences. Website: petastapleton.com

Hamid Dalwai

HAMID DALWAI was a journalist, social reformer and writer. Born into a lower-middle-class family in Maharashtra in 1932, he was a gifted writer, and his novel Indhan is recognized as a significant contribution to Marathi literature. He founded the Muslim Satyashodhak Mandal in the 1970s, and in his short life he relentlessly pursued religious and political reforms in the country. He died in 1977, at the age of forty-four.

Dilip Chitre

DILIP PURUSHOTTAM CHITRE (1938–2009) was a bilingual poet and critic writing in Marathi and English, besides being a painter, film-maker and translator. He was the co-founder and editor of Shabda, the influential little magazine dedicated to Marathi poetry. The first volume of his collected Marathi poems, Ekoon Kavita, received the Sahitya Akademi Award in 1994. The same year, he received a Sahitya Akademi translation prize for his translations of the saint–poet Tukaram’s poems in Says Tuka. He also translated the thirteenth-century mystic poet Shri Jnandev’s Anubhavamrut.

Bhagwant Anmol/भगवंत अनमोल

साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार से सम्मानित लेखक भगवंत अनमोल उन चुनिन्दा लेखकों में से हैं, जिन्हें हर वर्ग के पाठकों ने अपनाया। उनकी किताबें बिक्री के नए आयाम छूती हैं, तो अकादमिक जगत में भी हाथों-हाथ ली जाती हैं, साथ ही साहित्यिक जगत द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित भी होती हैं। भगवंत नए विषयों पर लिखते रहे हैं। उनका उपन्यास ज़िन्दगी 50-50 किन्नर विमर्श पर है जो दैनिक जागरण नील्सन बेस्टसेलर लिस्ट में दर्ज रहा, और कर्नाटक विश्वविद्यालय में परास्नातक पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। इसे उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा “बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया। उनके दो अन्य लोकप्रिय उपन्यास बाली उमर और प्रमेय हैं। प्रमेय से हिन्दी में साइंस फिक्शन लिखने का ट्रेंड शुरू हुआ और यह उपन्यास “साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया। भगवंत अनमोल पेशे से सॉफ्टवेर इंजीनियर हैं जो नौकरी छोड़कर कानपुर में स्पीच थेरेपी देते हैं। गेरबाज़ उनका चौथा उपन्यास है। 

Aditya Balasubramanian

Aditya Balasubramanian is lecturer in economic history at the Australian National University.

Gauranga Das/गौरांग दास

गौरांग दास मुम्बई में रहने वाले एक नेतृत्व और चेतना(लीडरशिप और माइंडफुलनेस) के प्रशिक्षक-गुरु हैं। आईआईटी बंबई से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सन्यास का राह धारण किया। वह इस्कॉन के गवर्निंग बॉडी कमीशन के एक सदस्य हैं और मेंदिरों के नेतृत्व प्रभावशालिता को दुनिया भर में विस्तार करने में सक्रिय हैं। 

Sushil Doshi/सुशील दोशी

सुशील दोशी को देश में हिंदी क्रिकेट कमेंटरी का जनक माना जाता है। उनके योगदान को दृष्टिगत रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने सन् 2005 में ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार” तथा भारत सरकार ने सन् 2016 में ‘पद्म श्री’ उपाधि से अलंकृत किया। वह देश के पहले ऐसे कमेंटेटर हैं, जिनके नाम से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के कमेंटरी बॉक्स को अब सुशील दोशी कमेंटरी बॉक्स कहा जाता है।
उन्होंने 500 से ज्यादा एक दिवसीय व टी-20 तथा 87 से ज्यादा टेस्ट मैचों की हिंदी में कमेंटरी की। हिंदी कमेंटरी के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, इंग्लैंड, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, हांगकांग व सिंगापोर की यात्राएँ कीं।  

Rajgopal Singh Verma/राजगोपाल सिंह वर्मा

राजगोपाल सिंह वर्मा ने उपन्यास, जीवनी, कहानी, और ऐतिहासिक विधाओं में लेखन कार्य किया है। पत्रकारिता तथा इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि के साथ ही आपके पास नई दिल्ली, लखनऊ और आगरा में केन्द्र और प्रदेश सरकार के विभागों में कार्य निष्पादन का अनुभव भी है। आपने उत्तर प्रदेश सरकार की साहित्यिक पत्रिका उत्तर प्रदेश का पाँच वर्ष तक सम्पादन कार्य किया। साथ ही, केन्द्र सरकार के अधीन कई मंत्रालयों की पत्रिकाओं के सम्पादकीय दायित्व का भी निर्वहन किया।
बेगम समरू का सच के लेखन के लिए आपको उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा “पं महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान” वर्ष 2019-20 प्रदान किया गया। दुर्गावती : गढ़ा की पराक्रमी रानी के लेखन के लिए आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का “पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ सम्मान” वर्ष 2021 प्रदान किया गया। इसके साथ ही, मुम्बई की साहित्यिक पत्रिका कथाबिम्ब द्वारा “कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान-2019” के रूप में श्रेष्ठ कहानीकार के सम्मान से आपको पुरस्कृत किया। 

Anil Yadav/अनिल यादव

अनिल यादव एक नामवर यायावर, संवेदनशील लेखक और गंभीर पत्रकार हैं। अब तक उनकी चार किताबें प्रकाशित हैं। उनका कहानी संग्रह नगर वधुएँ अखबार नहीं पढ़तीं और उत्तर-पूर्व पर आधारित यात्रा वतृातं वह भी कोई देस है महराज काफी चर्चा में रहा है। 2018 में उनकी कथेतर किताब सोनम गुप्ता बेवफा नहीं है को “अमर उजाला शब्द सम्मान” मिल चुका है। लंबी कहानी गौसेवक लिए उन्हें “हंस कथा सम्मान” (2019) से सम्मानित किया गया। अनिल को उनके बेलीक जीवन और कथा-शिल्प के लिए जाना जाता है। नई पीढ़ी के लेखकों में संभवत: वे बिरले हैं जिन्होंने दृश्य के अंदर का ‘अदृश्य’ देखने की क्षमता अर्जित कर ली है।

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