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Roz Sawere/रोज़ सवेरे

नरेन्द्र कोहली एक सिद्धहस्त कथाकार थे। उनकी कलम के सरोकार तत्कालीन समाज में जी रहे लोगों की पड़ताल करना था। लोगों के जीवन को समझने और कथात्मक विश्लेषण से तमाम परिस्थितियाँ सामने आती हैं। नरेन्द्र कोहली अपनी कहानियों में समाज में फैली असंगतियों और दारुण व्यथा का सजीव चित्रण करते हैं। ज़रूरत पड़ने पर वे आवश्यक व्यंग्य का सहारा लेने से भी नहीं चूकते और ​कथा-बिंबों से अपनी सृजनात्मक क्षमा का परिचय भी देते हैं।
नरेन्द्र कोहली जैसे सशक्त उपन्यासकार की श्रेष्ठ कहानियों का यह संकलन सभी पाठकों और शोधकर्ताओं और अध्येताओं के लिए उपयोगी है।

Shekh Shadi: Gulistan / शेख शादी : गुलिस्तां

विश्व विख्यात कवि और चिंतक शेख सादी के उपदेश प्राय: मस्ती और हास्य विनोद के रंग में डूबे हुए होते हैं, परंतु ये इतने तीखे और गहरे होते हैं कि गुदगुदाहट के बावजूद दिल और दिमाग को झनझनाकर रख देते हैं। इस पुस्तक में शेख सादी की अमर कृति गुलिस्तां का सरल हिंदी अनुवाद दिया गया है, साथ ही उनका प्रेरक जीवन परिचय भी इसमें है।
वास्तव में यह पुस्तक अनमोल उपदेशों का ऐसा खजाना है कि इंसान अपनी अच्छाइयों और बुराइयों को ख़ुद जाँच परख सके और अपनी ज़िंदगी के लिए सही रास्तों को चुन सके।

Sunahre Baalon Wali/सुनहरे बालों वाली

कार का पिछला दरवाज़ा खुला और उसमें से एक लड़की निकली। गोरा रंग, बहुत ही सुंदर और सुनहरी बाल. . . देखते ही मैं उछल पड़ा और शुक्ला जी को बाजू से घसीटता हुआ खिड़की तक ले आया और चिल्लाकर बोला— ‘वह देखो!’ इस पर शुक्ला मेरा बाजू थामकर जीने की ओर भागा।
‘यही तो थी वह लड़की, जिसका जिक्र चाचा जी ने अपने पत्रों में किया था और जो अपनी खोजबीन का केंद्रबिंदु बनी हुई थी।’
एक ऐसे गोरखधंधे की कहानी, जिसे षड्यंत्र का रूप देने के लिए अजीबोगरीब मकड़ी का जाला बुना गया, पर. . . घटनाओं की गड़बड़ी से सब कुछ छिन्न-भिन्न हो गयाा!
यह एक ऐसी पुस्तक है, जिसमें एक सशक्त जासूसी उपन्यास के सभी गुण मौजूद हैं — मनुष्य की विवशताओं के फलस्वरूप घटी दुर्घटना की यह एक रोमांचक दास्तान है।

Surya Gayatri/सूर्य गायत्री

सूर्य गायत्री सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा पर आधारित एक रोचक उपन्यास है, परंतु यह कथा पौराणिक की अपेक्षा वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है, इसलिए कहा जा सकता है कि इस पौराणिक कथा को विज्ञान की कसौटी पर कसने का प्रयास किया गया है।
विज्ञान में नित नए अनुसंधान हो रहे हैं, और वैज्ञानिक मृत्यु पर विजय पाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। फिर भी दूसरी तरफ इस बात पर भला कौन विचार करने से इंकार कर सकता है कि क्या अकाल मृत्यु को रोका नहीं जा सकता?
विज्ञान अकाल मृत्यु को रोके या नहीं, परंतु भारतीय नारी सावित्री ने अकाल मृत्यु को रोककर विधि के विधान को अवश्य चुनौती दी थी।

Vidrohi Subhash/विद्रोही सुभाष

यह उपन्यास नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म से लेकर लापता होने तक की संपूर्ण जीवनगाथा का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। इसका प्रथम संस्करण प्रकाशित होते ही यह लोकप्रियता के शिखर को छू गया था।
साल 1950 तक यह खबरें सामने आने लगीं थी कि नेता जी तपस्वी बन गए हैं। लेकिन कुछ रिपोर्ट के अनुसार, जब मित्सुबिशी के-21 बमवर्षक विमान, जिस पर नेताजी सवार थे, वह 18 अगस्त 1945 को क्रैश हो गया था। हालाँकि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि बोस की मृत्यु कब हुई थी। ऐसे ही कुछ सवालों से पर्दा उठाने का कार्य इस उपन्यास में किया गया है।

Parinita Tatha Anya Kahaniyan/परिणीता तथा अन्य कहानियाँ

इस उपन्यास में निम्न मध्यवर्ग की उत्पीड़ित नारी का दुख-दर्द उकेरा गया है। इस उपन्यास में स्त्री-पुरुष के रिश्ते को आत्मा की सघन गहराइयों से माप लेने का द्वंद्व नहीं है, बल्कि सहज ही स्वीकार कर लेने का भाव है। इसमें शेखर, ललिता और गिरीन्द्र के बीच प्रेम के रिश्ते बदलने की एक अद्भुत एवं मार्मिक दास्तान उकेरी गई है। इस कारण यह गूढ़ प्रेम की एक अमर कृति मानी जाती है।
इस उपन्यास का अनुवाद श्रीरामनाथ सुमन ने किया है।

Prem-Vivah Aur Aapka Jeevan/प्रेम-विवाह और अपना जीवन

अधिकांश लोगों का मानना है कि प्रेम-विवाह पूरी तरह सफल नहीं होते, जब​कि माता-पिता द्वारा तय किए गए रिश्ते हमेशा परवान चढ़ते हैं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। इस विषय पर महान ज्योतिषाचार्य कीरो की यह पुस्तक अपने आप में बेजोड़ है। इसे दो भागों में लिखा गया है। इसके प्रथम भाग में प्रेम और विवाह के अंतर्गत मनुष्य का व्यक्तित्व, प्रेम के लिए ढोंग, घातक प्रेम, असाधारण हाथ, पूर्व जन्म का ऋणानुबंध जैसे विषयों को बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया गया है। इसके दूसरे भाग जीवन और मृत्यु में सबसे गूढ़ ओर रहस्यमय विषय की पर्त दर पर्त को खोलते हुए आसानी से समझ में आने वाला तथा लाभप्रद विवरण दिया गया है।

Samarpan Ka Sukh/समर्पण का सुख

इस संकलन में मालती जोशी के चार सर्वाधिक चर्चित लघु उपन्यास एक साथ दिए गए हैं। इनकी कहानियाँ निश्चय की आपके मर्म को छूकर जीवन की कठोर सत्यताओं से रू-ब-रू कराने में पूरी तरह सक्षम हैं। इस कृति में सघन कथानक अपने सभी मोड़ों पर पाठक के मन को उद्वेलित करते हुए चलता है और दर्द का अहसास कराता है। इस संग्रह में लेखिका ने अपने जीवन की छोटी बड़ी अनुभूतियों को, स्मरणीय क्षणों को कथा के माध्यम से इस प्रकार पिरोया है कि ये कथाएँ अपने ही आसपास घटी हुई घटनाएँ प्रतीत होती हैं। लेखिका स्वयं कहती हैं कि उनकी और उनके अपनों के बीच की ये अनुभूतियाँ कथा के फलक पर जीवंत विस्तार पा गई हैं और करुणा बिखेरने में पूरी तरह सक्षम हैं।

Madhushala/मधुशाला

मधुशाला में एक सौ पैंतीस रूबाइयाँ (यानी चार पंक्तियों वाली कविताएँ) हैं।
मधुशाला की हर रूबाई मधुशाला शब्द से समाप्त होती है। हरिवंश राय बच्चन ने मधु, मदिरा, हाला (शराब), साकी (शराब पड़ोसने वाली), प्याला (कप या ग्लास), मधुशाला और मदिरालय की मदद से जीवन की जटिलताओं के विश्लेषण का प्रयास किया है। मधुशाला जब पहली बार 1935 में प्रकाशित हुई तो शराब की प्रशंसा के लिए कई लोगों ने उनकी आलोचना की। लेकिन गांधी जी ने इसकी प्रशंसा की।
बाद के दिनों में मधुशाला इतनी मशहूर हो गई कि जगह-जगह इसे नृत्य-नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया। मधुशाला की चुनिंदा रूबाइयों को मन्ना डे ने एल्बम के रूप में प्रस्तुत किया। इस एल्बम की पहली कविता स्वयं बच्चन ने गाई। हरिवंश राय बच्चन के पुत्र अमिताभ बच्चन ने न्यू यॉर्क के लिंकन सेंटर सहित कई जगहों पर मधुशाला की रूबाइयों का पाठ किया।

On the Brink of Belief

Djinns linger in homes, an Assamese grandmother says. Peculiar cousins haunt Kashmiri family trees. Redemption for Shaitan is found on a bathroom floor in Lahore. In Dhaka, questions hang heavy in a police cell. Farewell emails offer closure to a relationship set against the backdrop of the decriminalization bill in Sri Lanka. And in a quiet kitchen somewhere in Nepal, memories still glow like flames. In this collection, twenty-four LGBTQIA+ writers from South Asia and beyond, conjure worlds where the borders between myth and memory, flesh and spirit, fact and belief dissolve.

This collection is a first-of-its-kind portal into the charged space where queerness meets faith. Building on the cultural histories of South Asia, these stories are brought to you as flash fiction, memoir, poetry, fragments and conversations, gathering voices that are at once intimate, fiercely authentic and defiant. Together, they rewrite what it means to belong and believe, offering readers not answers but revelations.

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