Yuvraaj Khanna is on the brink of the stupendous success he has dreamt about his whole life. His grocery delivery startup has just secured 900 million dollars in valuation, and he is engaged to the beautiful Sanjanaa Gandhi, a doctor from tony Malabar Hill.
And then, the death of his wealthy father disrupts everything. The father who had abandoned him when he was a child.
A murder investigation unfolds, throwing the spotlight on Yuvraaj and revealing deep-rooted rivalries and unresolved tensions, laying bare the brutal lengths people will go to in their quest for success and social standing
Set in the dazzling yet fiercely competitive world of Mumbai’s elite, Death of a Gentleman unravels the dark secrets hidden beneath the city’s glamorous façade. With its stylish storytelling, sharp wit and chilling twists, this gripping psychological thriller will leave readers questioning the true cost of power and what it means to survive in a world that thrives on appearances.
पिता की सेना में पति को घिरे देख युद्धक्षेत्र में लज्जा त्याग संयोगिता बोली, ‘स्वामी! अब मेरा मुँह न देखिए बढ़-बढ़कर हाथ दीजिए और क्षत्रिय-जन्म सुफल कीजिए!’
वीर क्षत्राणी संयोगिता, कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थीं। संयोगिता को तिलोत्तमा, कान्तिमती, संजुक्ता जैसे नामों से भी जाना जाता है। संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान के बीच प्रेम की कहानी बहुत प्रसिद्ध है, जिसे इस उपन्यास में दर्शाया गया है।
क्षत्रिय-कुल सिरमौर पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी की रूह फूंक देने वाली इस कहानी में आचार्य चतुरसेन ने शृंगार और वीर रसों का अद्भुत संगम कराते हुए इसे अमर ऐतिहासिक उपन्यास बना दिया है।
हिंदी में निबंध लेखन की स्वस्थ परंपरा रही है। साहित्य का मनोसंधान उसी की दिलचस्प व पठनीय कड़ी है। कथा साहित्य में लेखक वस्तुस्थिति के समांतर एक संसार रचता है; निबंध में उससे सीधे मुठभेड़ करता है। दोनों तरह के लेखन का प्रमुख स्वर, भिन्न नज़रिया और प्रचलित मान्यता से प्रतिरोध हो सकता है, जो मृदुला गर्ग का है। निबंध में उसकी अभिव्यक्ति के लिए स्वरचित किरदारों का सहारा नहीं लेना पड़ता। तथ्यों की आँखों में आँखें डाल कर उनकी मनोवैज्ञानिक पड़ताल की जा सकती है। समाज, व्यवस्था और व्यक्ति के परस्पर घात प्रतिघात का सीधे जायजा लिया जा सकता है। मात्र विश्लेषण करके नहीं। प्रज्ञा और सौंदर्य बोध के प्रयोग से रस और रसोक्ति, दोनों पैदा कर के। इस पुस्तक में मनोसंधान का फलक खूब विस्तृत और गहन है। इसमें केवल बौद्धिक छटपटाहट नहीं, हार्दिक संवेदन और मनोरंजन है।
कुछ लड़कियाँ भी तो लाल मिर्च जैसी होती हैं! उसे भी लाल मिर्च जैसी लड़कियाँ पसंद थीं।
उसने अपने जीवन के कई अमूल्य वर्ष लाल मिर्च जैसी लड़की की खोज में बिता दिया—पर उसे वह न मिली। और जब वह उसे मिली तो ऐसा अनुभव हुआ मानो उसकी आँखों में किसी ने लाल मिर्च पीसकर झोंक दी हो। यह है लाल मिर्च की कहानी।
लता गुजराती के आठ प्रसिद्ध लेखकों का सम्मिलित रूप से लिखा एक उपन्यास है। ये सभी लेखक जाने-माने और अपनी-अपनी शैली के माहिर हैं। लता में दो पुरुषों के स्नेह-सूत्रों में बंधी एक नारी की कहानी है—बहुत करुण, बहुत मार्मिक!
इस कथा को आठ कोणों से आठ लेखकों ने, आठ मनस्थितियों से लिखा है। यह अद्भुत प्रयोग निश्चय ही पाठकों को बहुत पसंद आएगा। मूल रूप से यह उपन्यास गुजराती में लिखा गया था। हिंदी में इसके अनुवादक हैं श्री परदेसी। अनुवादक ने इसे इस प्रकार अनुवादित किया है कि यह उपन्यास भाषा की दृष्टि से हिंदी में लिखा गया ही प्रतीत होता है।
विश्व के महान कथा-शिल्पी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी मुक्तिधन ‘गौ’ से जुड़ी हुई है। लाला दाऊदयाल ने एक ज़रूरतमंद मुसलमान से एक गाय खरीदी, लेकिन विधि का विधान ही ऐसा निकला कि उस मुसलमान सज्जन को बार-बार रुपयों की ज़रूरत पड़ी तो, उसने सूद पर लाला दाऊदयाल से ही हर बार पैसे लिए, लेकिन कभी चुका न पाया, लेकिन अंत में दाऊदयाल ने उस मुस्लिम सज्जन का कर्ज यह कहकर माफ कर दिया कि ‘मैं ही तुम्हारा कर्जदार हूँ, क्योंकि तुम्हारी गाय मेरे पास है और गाय ने कर्ज के धन से अधिक दूध दिया है और बछड़े नफ़े में अलग।’ यह कथा मज़बूरी का फ़ायदा न उठाने की प्रेरणा देती है।
इसी के साथ इसमें प्रेमचंद की अन्य श्रेष्ठ कहानियाँ भी दी गई हैं, जो प्रेरक भी हैं और रोचक भी।
कथा सम्राट के गौरव से विभूषित संसार के अग्रणी कथाकारों में प्रतिष्ठित प्रेमचंद की कहानियों का यह खंड संपूर्ण रूप से मूल पाठ है।
हिंदी पाठकों की सुपरिचित लेखिका मालती जोशी मध्यवर्गीय परिवार से हैं। अपने घर-आंगन से, पास-पड़ोस से कथाबीज उठाकर वे कल्पना का रंग देती हैं। इसीलिए उनकी रचनाएँ परिवार के इर्द-गिर्द घूमती हैं। उनकी रचनाओं को पढ़कर हरेक घटना अपने आसपास ही घटी हुई प्रतीत होती है।
पटाक्षेप चिंताओं और जीवन की सचाइयों से संबंधित सशक्त साहित्यिक कृति तो है ही, साथ ही अत्यंत रोचक भी है। यह रचना समाज की सच्चाई को एक दर्पण की तरह दिखाने में पूरी तरह सक्षम है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जिस कुल में स्त्रियों का आदर है वहाँ देवता प्रसन्न रहते हैं। इस प्रकार शास्त्रों में नारी की महिमा बताई गई है। भारतीय समाज में नारी का एक विशिष्ट व गौरवपूर्ण स्थान है। लेकिन आजकल के समाज में ऐसा नहीं है। आजकल कहीं वीरान स्थल पर नारी मिल जाए तो किसी रक्षक को भी भक्षक बनने में देर नहीं लगती। लेकिन चरित्र और मर्यादा के बल पर नारी निसंदेह नारायणी का रूप भी धारण करके भक्षक को रक्षक बनाने में सक्षम हो सकती है।
तीन-तीन नारी-विरोधी पुरुषों को अलग-अलग ढंग से वश में करके सही मार्ग पर लाने वाली एक युवती के साहसपूर्ण कृत्यों की सरस कहानी, जिसे प्रस्तुत किया है लोकप्रिय उपन्यासकार धर्मवीर कपूर ने।
इस पुस्तक में ज्योतिष विज्ञान और ब्रह्मांड की रचना के परस्पर संबंधों का बहुत ही ख़ूबसूरती से उद्घाटन किया गया है। इसमें अत्यंत गहन रूप में देश-काल में व्याप्त चेतना के प्रवाह का वर्णन किया गया है। इससे स्पष्ट होता है लेखक को विषय की कितनी गहरी समझ है– डॉ. मुरली मनोहर जोशी, संसद सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री
प्लैनेटरी मैडिटेशन में बहुत ही सरल ढंग से समझाया गया है कि ग्रहों की स्थितियाँ किस तरह से हमारे जीवन को स्वरूप प्रदान करती हैं और हमें ज्ञान, शांति और विवेक से समृद्ध करती हैं। इसमें नक्षत्र-मैडिटेशन की एक ऐसी ध्यान-विधि को उद्घाटित किया गया है, जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की गई थी। इससे स्पष्ट होता है कि जिस नक्षत्र में व्यक्ति का जन्म होता है, उसके देवता से जुड़कर ही वह सत्, चित् और आनंद की अवस्था को प्राप्त कर सकता है।
प्रगति के पथ पर गुरुदत्त का एक लोकप्रिय सामाजिक उपन्यास है, जिसमें सामाजिक बुराइयों पर कड़ा प्रहार करते हुए देश की एकता का संदेश दिया गया है। ग्रामीण भारत में सदियों से चली आ रही सामाजिक बुराइयों को केंद्र में रखते हुए इस उपन्यास का ताना बाना इस प्रकार बुना गया है कि पाठकों को लगता है कि देश को तोड़ने की नहीं जोड़ने की जरूरत है, इसलिए अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देकर जाति प्रथा का समूल विनाश कर देना चाहिए।
समाज में राजनीतिक से लेकर आर्थिक तक के कई मुद्दों को पड़ताल करने वाला यह एक काल्पनिक उपन्यास है। लिंग, जाति, या वर्ग पूर्वाग्रह जैसी सामाजिक समस्याओं को पात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव के ज़रिए इसमें इस प्रकार रेखांकित किया गया है पाठक एक बार पढ़ना शुरू करे तो वह इसे पूरा पढ़कर ही दम लेगा।