यह दिल्ली के मालवीय नगर के एक रिफ्यूजी नौजवान की कहानी है जो कड़ी मेहनत के बाद कामयाबी के झंडे गाड़ता है। वह आईआईटी दिल्ली में रैंक होल्डर बनता है, आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए करता है, कोटक और एमेक्स में इन्वेस्टमेंट बैंकर बनता है और भारत के दो-दो मशहूर यूनिकॉर्न को खड़ा करना का श्रेय हासिल करता है।
यह ग्रोफर के सीएफओ और भारतपे के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर का एक लाजवाब संस्मरण है जो मशहूर टीवी शो शर्क टैंक इंडिया में जज बनकर घर-घर जाना पहचाना नाम बन चुके हैं, हालाँकि उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। विवाद, प्रेस और सोशल मीडिया की बहसें उनका पीछा करती हैं और तथ्य और कल्पनाओं के बीच फर्क करना मुश्किल हो जाता है।
Catagory: Non Fiction
non fiction main category
Sone Ka Thal/सोने का थाल
शिवाजी ने छत्रसाल के कंधे पर हाथ रखकर कहा, ‘वीर बुंदेले कुमार, जो कोई देशोद्धार का पवित्र व्रत धारण करता है : नीति, त्याग और समता के देवता मंगल-गान करते हुए उसके साथ-साथ चलते हैं। शालीनता, माधुर्य और सत्य-प्रतिज्ञा उस पर चँवर डुलाती हैं। दक्षता और तत्परता उसका मार्ग सार्थक करती है। छत्रसाल, मैं भी तुम्हारी ही भाँति स्वाधीनता का पुजारी हूँ।’
इतिहास और भारतीय संस्कृ ति के मर्मज्ञ आचार्य चतुरसेन की लौह-लेखनी से निकले इस प्रेरक उपन्यास में बुदेलखंड की आज़ादी की बहुत ही संघर्षपूर्ण कहानी दी गई है। छत्रसाल ने जिस अनोखी सूझ-बूझ, आत्माभिमान और शूरवीरता का परिचय देकर बुंदेलखंड को स्वतंत्र कराया उसका बहुत ही रोचक, उत्तेजक और रोमांचकारी वर्णन इस उपन्यास की विशेषता है।
Treta/त्रेता
प्रस्तुत महाकाव्य राम के ईश्वरीय मिथक के माध्यम से एक ओर मौजूदा समय के ज्वलंत विमर्श—स्त्री और दलित—को प्रतिबिंबित करते हुए जाति, वर्ग, संप्रदाय, आदिवासी-उत्पीड़न, हिंसा, अनाचार, आतंकवाद, विश्वयुद्ध की विभीषिकाओं और बाज़़ार के बढ़ते प्रभाव से जुड़़ी समस्याओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है, तो दूसरी ओर समस्त अराजक, पाशविक और नकारात्मक प्रवृत्तियों को शमित करने के लिए संघर्ष का आह्वान भी। यह संशोधित एवं परिवर्धित संस्करण प्रथम बार प्रस्तुत किया गया है।
Udyast/उदयास्त
राजशाही युग की अंतिम ऐतिहासिक यादें दी गई हैं इस पुस्तक में। बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न आचार्य चतुरसेन शास्त्री की प्रमुख विशेषता यह है कि वह स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ समाज का निर्भीक चित्रण करने में कभी नहीं हिचकिचाए। उदयास्त आपके इन्हीं गुणों का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसमें देसी राजाओं के उन्मत्त भोग-विलास, अन्याय-अत्याचार, झूठे आडंबर, अजीबोगरीब शौकों और बेतुकी सनकों का बड़ा ही सजीव चित्रण किया गया है।
Korel/कोरेल
““. . .मुझे रुपए चाहिए सात दिन के अंदर-अंदर वरना नालिश कर दें, मैं उसे पैरों के नीचे घसीटकर लाना चाहती हूँ।”
एक अहंवादिनी युवती के असीम प्रेम के असह्य घृणा में परिवर्तित हो जाने की मार्मिक कहानी।
साथ ही पढ़िए लगभग ऐसी ही भाव-भूमि पर आधारित शरत् बाबू का ही एक अन्य उपन्यास दत्ता।
यह पुस्तक पठनीय के साथ-साथ संग्रहणीय भी है।
शरत् बाबू का सर्वप्रथम तथा पुस्तक-रूप में अब तक अप्रकाशित उपन्यास।”
Kuchh Moti Kuchh Seep/कुछ मोती कुछ सीप
‘देखिए! शादी-ब्याह के सफल और असफल रहने की गारंटी कोई नहीं दे सकता। . . . लेकिन एक दिल का लगाव जैसी भी कोई चीज होती है। कामिनी के साथ मैं दो साल तक रहा। फिर भी हम दोनों एक-दूसरे के लिए अनजान बने रहे। राधिका को मैं मुश्किल से सप्ताह भर से जानता हूँ; पर लगता है, जैसे हम दोनों जन्म-जन्मांतर से परिचित हैं। क्यों लगता है ऐसा?’
वैवाहिक समस्या का मार्मिक समाधान प्रस्तुत करने वाले प्रसिद्ध लेखक किशोर साहू का बेहद रोचक उपन्यास, जो हर किसी के दिलो-दिमाग पर अद्भुत छाप छोड़ने में सक्षम है।
Boundary Lab
Sport is a petri dish. In it, society tests not only human limits but also individual and collective attitudes and norms, often before they impact the wider world beyond the boundary.
In its quest for universal rules, organized sport must regularly balance multiple interests and answer difficult questions. This helps sport—and through sport, society—to tweak laws, markets, morals and technological advances. The outcomes of the resulting debates influence the way we live, view each other, and organize our world.
Why should we care about sport and its governance? Within the covers of Boundary Lab lie the answers.
India’s Most Fearless 3 (Hindi)/India’s Most Fearless 3/इंडियाज़ मोस्ट फ़ीयरलेस 3
इंडियाज़ मोस्ट फ़ीयरलेस 3 किताब, वह रोमांचक कल्पनाओं का सफर है, जो हमें उस वीरता और निडरता की दुनिया में ले जाता है, जो हमारे देश के असली हीरोज़ की कहानियों को खोलता है। यह पुस्तक विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए सबसे अजीब और अनूठे क्षणों को हमारे सामने प्रस्तुत करती है, जिनमें सच्ची पराक्रम की कहानियाँ छुपी हैं। इसमें छिपे उन वीरों की शौर्यगाथाएँ हमें हमारे अदृश्य नायकों की महिमा में ले जाती हैं और हमें गर्वित होने का अहसास कराती हैं।
Nishesh/नि:शेष
देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आई एक हिंदू रिफ्यूजी महिला की कहानी जो चंडीगढ़ में अपने पत्रकार पति के साथ रहती है और कई द्वंदों में जीती है। उसे विभाजन के दिनों का भाईचारा याद आता है, हिंसा याद आती है और दगाबाजियाँ भी याद आती है। इस पुस्तक में प्रेम है, विछोह है, जड़ों की ओर लौटने की तड़प है और विचारधाराओं का द्वंद है। कुल मिलाकर यह किताब एक खंडित व्यक्तिक्व की महिला की कहानी है जो बंटवारे के बाद अपनी जड़ों से उखड़ चुकी है, प्रेम और आकर्षण के बीच के अंतर को समझ नहीं पाती और फिर नारीवाद की कई परतों से गुजरकर एक पारिवारिक लेकिन लगभग एकाकी जीवन जी रही है जिसमें उसका पति तो साथ है, लेकिन वह भी अपनी दुनिया में डूबा हुआ है।
Babur
Babur, the visionary founder of Timurid Empire in Hindustan, had a fair share of early struggle following his father’s tragic demise in AD 1494. Then on, Babur embarked on an unyielding pursuit of power amid treacherous political landscapes, the narrative unveils his moniker, ‘the chessboard king,’ portraying his adept navigation through political intricacies and adversities.
From his ascent to rulership in Ferghana amidst familial threats to fleeting victories and losses in Samarkand, the book paints a poignant picture of Babur’s journey. It portrays his retreat to tribal lands after relinquishing hopes of reclaiming Ferghana, eventually establishing a mountainous kingdom in Kabul, a pivotal milestone preceding his ambition to expand into Hindustan. Recounting his initial endeavour to penetrate Hindustan in AD 1505, his alliances, and subsequent setbacks after Sultan Husayn Mirza Bayqarah’s demise, leaving him as the sole Timurid prince in power, the book opens a window to Babur’s failed second attempt to enter Hindustan, encapsulating the initial thirteen to fourteen tumultuous years of his reign, marked by exile, fleeting victories, and delicate alliances.
Gripping, anecdotal and deeply researched Babur: The Chessboard King delves into Hindustan’s economic landscape during Timurid rule and portrays Babur as a multifaceted ruler, challenging the typical depiction of an infallible conqueror and a good human being. Meticulously sourced from the Persian manuscript of the Baburnama and other primary sources, this book represents a milestone in Babur’s biographical genre, essential for comprehending the ambitions of this enigmatic king.
