In his groundbreaking book Do Epic Shit, Warikoo dropped this truth bomb: ‘Three relationships determine our life’s course – time, money, and ourselves.’
Now, in his third book, Make Epic Money, he dives deep into the complex world of money to provide you with the ultimate personal-finance blueprint. Drawing on a lifetime of experience of financial highs and lows, he shares everything he has learnt about money that he wishes someone had taught him when he was young.
Prepare to unlock the secrets to financial well-being with this no-nonsense guide. Say goodbye to confusing jargon and hello to practical advice. Discover how to earn, spend and make your money work just as hard for you as you do for it.
‘The length of India, though. Think of that. The magnitude of it takes my breath away, even months later. When next will I get such an opportunity? As the Yatra got going, through its early days in Tamil Nadu and Kerala, that question began to haunt me. Through those early days, the challenge of finding an answer came to mean something to me. Something deep, profound, elemental. The challenge of the walk, yes. But what it helped me articulate for myself, too. The way it dredged up long-ago experiences, reminded me of what they had meant, wrung new meaning from them now, said things about my country, my family, myself. All in all, it helped me decide — if I wasn’t doing the whole trip, there was a next best thing I could do.’
Dilip D’Souza joined the Bharat Jodo Yatra four times. This is the story of that experience. But even more, this is the story of how he found energy, empathy and enthusiasm in the Yatra. How it spoke to him of renewal. How it filled him, and many others, with hope. ‘This was my chance to make my own slice of personal history,’ he writes. ‘That was enough for me.’
हिन्द पॉकेट बुक्स ने हमारे युग के इस सर्वश्रेष्ठ गल्पकार आचार्य चतुरसेन की सम्पूर्ण कहानियों को सिलसिलेवार एक साथ प्रकाशित करने की योजना के अन्तर्गत 5 भागों में संकलित किया है। इन कहानियों की यह विशेषता है कि ये सर्वथा प्रामाणिक मूल पाठ हैं, जो सभी पाठकों के साथ-साथ हिन्दी कहानियों के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। ‘दुखवा मैं कासे कहूँ’ उनकी सम्पूर्ण कहानियों की दूसरी कड़ी है। इसमें 26 कहानियाँ दी गई हैं। सम्पूर्ण कहानियों का पहला भाग ‘बाहर-भीतर’ है।
आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ गल्पकार आचार्य चतुरसेन की सम्पूर्ण कहानियों को सिलसिलेवार एक साथ प्रकाशित करने की योजना के अन्तर्गत 5 भागों में संकलित किया गया है। इन संकलनों की यह विशेषता है कि ये कहानियाँ सर्वथा प्रामाणिक मूल – पाठ हैं, जो सभी पाठकों के साथ-साथ हिन्दी कहानियों के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं। ‘कहानी ख़त्म हो गई’ सम्पूर्ण कहानियों की श्रृंखला की पाँचवीं एवं अंतिम कड़ी है। इसमें 24 कहानियाँ दी गई हैं, जो चतुरसेन के लेखन के शिखर को रेखांकित करती हैं।
आचार्य चतुरसेन की सम्पूर्ण कहानियों को पाँच भागों में प्रकाशित करने के सिलसिले की यह चौथी कड़ी है। उनकी कहानियाँ विविध विषयों में फैली हुई हैं। ‘सोया हुआ शहर’ में यह विभाजन इस प्रकार है – सोया हुआ शहर, ताज मुगलकालीन।
• दे ख़ुदा की राह पर, कमल किशोर, सुखदान सामाजिक।
• शर्मा जी, पंडित छोटेलाल, चैधरी संस्मरणात्मक।
• जापानी दासी, तिकड़म, चिट्ठी की दोस्ती कौतुक प्रधान।
• राजा साहब के प्राइवेट सेक्रेटरी, राजा साहब की कुतिया, राजा साहब की पतलून सामंतकालीन।
• चैथी भांवर, घोड़ी का मोल – तोल, राज्यों की चैसर वीरता प्रधान।
• हैदरअली, विश्वासघात, दिल्ली दरबार में शिवाजी राजे ऐतिहासिक।
• कैदी, दियासलाई की डिबिया, अब्बाजान, मनुष्य का मोल भावप्रधान।
• जीजाजी, प्लेंचेट, दण्ड, सविता, रोगी – परीक्षा समस्याप्रधान।
• बहन तुम कहाँ, मैं तुम्हारी आँखों को नहीं, तुम्हें चाहता हूँ पारिवारिक।
‘मेरी सारी हिम्मत समाप्त हो गई। मेरी सामर्थ्य अब इतनी भी नहीं रही कि मैं यान को अपने नियंत्रण में रख सकूं उस क्षण, मेरी प्यारी लिज़ा, बस तुम्हारी स्मृति मेरे मस्तिष्क में थी, मैंने पृथ्वी को और जीवन को नमस्कार किया। मेरी चेतना धीरे-धीरे लुप्त हो गई और मैंने जाना कि मेरी मृत्यु हो गई।’
लिज़ा ने कांपते हाथों सेज़ोरोवस्की का हाथ पकड़ लिया और एक सिसकारी उसके कण्ठ से निकल पड़ी। फिर वह ज़ोरोवस्की की गोद में गिरकर फफक-फफक कर रो पड़ी।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी आचार्य चतुरसेन का एक वैज्ञानिक उपन्यास, जिसमें उन्होंने परमाणु शक्ति की कल्पनातीत क्षमताएँ अंतरिक्ष में मानव की उड़ान तथा दुरूह ध्रुवीय प्रदेश की साहसिक यात्रा का बड़ा ही रोमांचक चित्र प्रस्तुत किया है। इसे पढ़ते-पढ़ते, निश्चय ही आप एक विचित्र लोक में भ्रमण करने लगेंगे।
टूटती रात मे उन्हें कुछ झपकी आई थी, कि एक हृदय वेधी चित्कार से उनकी नींद टूट गई। चौपाल पर जो दो चार व्यक्ति सो रहे थे, वे उठकर बैठ गए। एक ने कहा- मालूम होता है उसका लड़का चल बसा। गज़ब हो गया, पहाड़ टूट पड़ा। आसार तो कल ही से अच्छे न थे, अब न जिएगा। बहते आँसू नारी के दिल की चीत्कार की एक ऐसी कहानी है, जो आपके मन और आत्मा तक को झकझोर कर रख देगी।
प्रथम स्वाधीनता संग्राम में, अंग्रेज़ों की सत्ता उलटने के लिए, पूरे देश में जागृति की एक प्रबल लहर दौड़ गई। शत्रुओं को भारतीय शूरों की वीरता व देशभक्ति का लोहा मानना पड़ा — वे उनके नाम से कांपत थे, पर फिर क्या कारण थे कि राष्ट्रीय शक्तियों को अंग्रेजों के सामने पराजय का मुँह देखना पड़ा? इस उपन्यास में मुख्यतया दिल्ली, झांसी और कानपुर के आजादी पाने के संघर्षों का मर्मस्पर्शी चित्रण है।
समाज में ‘दादा’ कहलाने वाले व्यक्तियों से प्रायः लोग भयभीत रहते हैं। परन्तु लोकप्रिय उपन्यासकार आचार्य चतुरसेन के इस उपन्यास का ‘दादा’ एक ऐसा चरित्र है, जो अपने कारनामों से लोगों को आतंकित तो करता है, परन्तु मौका पड़ने पर किसी की सहायता के लिए जान पर भी खेल जाता है। कोई व्यक्ति प्रेम के लिए क्या कुछ कर सकता है, ‘दादा’ इसका अन्यतम उदाहरण है। इसके अतिरिक्त इस पुस्तक में आचार्यजी की कुछ ऐसी चुनी हुई कहानियां भी हैं, जिनका कथानक आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।
यह एक दार्शनिक का यात्रा-वर्णन है, जो विचारों एवं भावनाओं को उद्वेलित करता है। इसमें अमेरिका का सूक्ष्म एवं तलस्पर्शी निरीक्षण तो है ही, लेकिन भारतीय जीवन में जो कुछ शाश्वत एवं उदात्त है, उसका भी प्रभावोत्पादक निरूपण है। इस पुस्तक की भाषा अत्यंत सरल एवं रोचक है। एक बार पढ़ेंगे तो बार-बार पढ़ने का मन करेगा।