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Hriday Ki Parakh/हृदय की परख

हृदय की परख आचार्य चतुरसेन का एक उत्कृष्ट सामाजिक उपन्यास है, इसमें एक रहस्यमयी नवयुवती की मार्मिक जीवन-गाथा है, जो समाज के लिए दर्पण है। किसी मनुष्य के हृदय में जब प्यास-सी उठती है, तो अजीब तरह की बेचैनी और छटपटाहट होने लगती है। मन चंचल होने लगता है और इसी के साथ शुरू होता है।
बहकना-भटकना। आचार्य चतुरसेन ने इसी मनोवैज्ञानिक सत्य को रोचक ढंग से हृदय की प्यास की कथा में मोती की तरह पिरोया है। यह कृति युवा मन को समझने का भी प्रयास करती है। 

Bose (Hindi)/Subhash Babu/सुभाष बाबू

आम लोग सुभाष चंद्र बोस के गांधी से मतभेद और जर्मनी व जापान की मदद से द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत को आज़ाद करवाने के प्रयासों के बारे में जानते हैं। लेकिन अब जो सूचनाएँ सामने आ रही हैं, वो बताती हैं कि उनके देश भर के क्रांतिकारियों से कैसे संबंध थे और अध्यात्म और खुफिया मिशनों से उनको कितना लगाव था। साथ ही, उन्होंने ब्रिटिश भारतीय सेना में विद्रोह पैदा करवाने के क्या-क्या प्रयास किए थे।
प्रश्न यह है कि क्या बोस वाकई नाजियों से सहानुभूति रखते थे? उन्होंने अपनी राजनीतिक छवि दांव पर क्यों लगाई? ऐसे ही कई सवालों के जवाब सुभाष बाबू नाम की यह पुस्तक देती है। 

Flowers on The Path (Hindi)/Rah Ke Phool/राह के फूल

प्रस्तुत पुस्तक पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है; यह द टाइम्स ऑफ इंडिया के स्तंभ ‘द स्पीकिंग ट्री’ धारावाहिक रुप में प्रकाशित सद्गुरु के आलेखों का संग्रह है। इन रचनाओं ने एकरसता और अशांति से घिरे लोगों के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शालीनता प्रवाहित की है।
सद्गुरु के मौलिक विचारों, स्पष्ट टिप्पणियों और समसामयिक मसलों पर दिए गए बयानों ने कभी-कभी विवाद पैदा किए हैं, पर उनसे राष्ट्रीय बहस में एक अलग रंगर और जीवंतता का संचार हुआ है। रुढ़ियों और परम्परागत विचारों से अलग नए दृष्टिकोण जगाकर पाठकों को चौंका देने वाली ये रचनाएँ, अपनी सौम्य सुगंध से भोर को भिगोते फूलों की तरह उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती है।
हमारी नजरों के सामने खिले फूलों की तरह इनमें आग्रहपूर्ण आमंत्रण है। सुवास आ आमंत्रण-सुवास जो मदहोश कर देती है, जो हमें याद दिलाती है कि जीवन कोई उलझी हुई पहेली नहीं है, बल्कि एक राज है जिसे अनुभव किया जा सकता है। 

Hriday Ki Pyas/हृदय की प्यास

हृदय की प्यास आचार्य चतुरसेन का अत्यंत महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। इसमें उन्होंने ऐसे युवक-युवतियों की सरस कथा कही है, जो वासनाओं की ओर झुकते हैं और फिर भावना तथा कर्तव्य की पहेली को सुलझाने के प्रयास में लग जाते हैं। प्रारंभ से अन्त तक पठनीय एक अत्यंत रोचक उपन्यास। 

Patthar Yug Ke Do But/पत्थर युग के दो बुत

भारतीय साहित्य में अधिकतर प्यार करने वाले युवा-युवतियों की कहानियाँ पढ़ने को मिली हैं। विवाह के बाद घटने वाली घटनाओं पर बहुत कम साहित्य लिखा गया है। इस कमी को यह उपन्यास पूरा करता है। आचार्य चतुरसेन के इस उपन्यास में सभी पात्र अपने पति या पत्नियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों के प्रति आकृष्ट हैं। वे साँपों की इस घाटी में आँख मूंदकर बढ़ते चले जाते हैं और तब तक नहीं रुकते जब तक विनाश सामने नहीं आ जाता। समाज में आज भी स्त्री-पुरुष के विवाहेतर संबंध अनुचित माने जाते हैं लेकिन ये सम्बन्ध अस्वाभाविक नहीं हैं। इसी विषय-वस्तु को आधार बनाकर एक मनोरंजक वर्णन आचार्य चतुरसेन ने किया है साथ ही इसकी कथा का गठन भी ऐसा है कि पाठक के मर्म को छुए बिना न रहे। 

Rashtrapati Radhakrishnan/राष्ट्र्पति राधाकृष्णन

राष्ट्रपति राधाकृष्णन् इस युग के एक महान दार्शनिक और तत्त्व-चिन्तक के रूप में विश्व-विख्यात हैं। सारे संसार के विद्वान उन्हें प्रखर विद्वान की दृष्टि से देखते हैं। राजनीति से दूर रहते हुए भी उन्होंने भारतीय स्वाधीनता-आंदोलन में और स्वतंत्र भारत के निर्माण में भारी योगदान दिया है। विख्यात पत्रकार अवनीन्द्रकुमार विद्यालंकार ने अपनी इस पुस्तक में डा० राधाकृष्णन के प्रेरणाप्रद जीवन और उनके युगान्तरकारी विचारों का पूर्ण प्रामाणिक परिचय प्रस्तुत किया है। 

Gautam Adani (Hindi)/Gautam Adani/गौतम अदाणी

गौतम अदाणी एक ऐसे बिज़नेस एंपायर के संचालक हैं जिसमें पोर्ट्स, रिन्युअल एनर्जी, हवाई अड्डे, सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन, पावर ट्रांसमिशन, थर्मल पावर, खाद्य तेल, सीमेंट और रेलवे लाइनें शामिल हैं और अब उनका ही अदाणी समूह जल्द टेलीकम्युनिकेशंस, डेटा सर्विसेज़, तांबा, एल्यूमिनियम और इस्पात उत्पादन जैसे क्षेत्रों में प्रवेश करने की तैयारी में है। वर्तमान में, अदाणी एशिया के साथ ही विश्व के टॉप वेल्थ जेनेरेटर्स में गिने जाते हैं। समाचारों की सुर्ख़ियों में बने रहने के बावजूद, स्वनामधन्य इस बिज़नेसमैन के बारे में, या उनकी प्रेरणाओं, दृष्टिकोण, जीवन और सफलता से जुड़ी यात्रा के बारे में बहुत कम जानकारियाँ उपलब्ध हैं।
यह किताब इसी कमी को पूरी करती है। लम्बे समय से गौतम अदाणी के करियर को अपनी पैनी दृष्टि से देखने वाले और भारत के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक, आरएन भास्कर ने यह अनूठी किताब लिखी है जिसमें कठिन तथ्यों को एक कहानी के जैसे पेश किया गया है। 

Indians (Hindi)/Indians/इंडियंस

एक विचार, एक हकीकत और एक पहेली है भारतीय सभ्यता। इस दिलचस्प किताब में नमित अरोरा हमें इतिहास की हज़ारों साल की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं जिसमें वे भारतीयों के सामाजिक और सांस्कृतिक पड़ावों का ब्योरा देते हैं। वे उनकी राजनीतिक उथल-पुथल और प्रतिद्वन्दिता, उनके रीति-रिवाज, व्यवसाय और पर्व-त्योहारों पर गौर करते हैं। इस क्रम में अरोरा छह ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करते हैं—हड़प्पा कालीन धोलावीरा, नागार्जुनकोंडा में इक्ष्वाकुओं की राजधानी, बौद्धों का ज्ञान केंद्र नालंदा, रहस्यपूर्ण खजुराहो, हम्पी में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी और ऐतिहासिक बनारस। अपने सुस्पष्ट विश्लेषण, स्थानीय कहानियों और चित्रों के माध्यम से वे इसे जीवंत बनाते हैं। साथ ही उनकी इस पुस्तक में भारत आने वाले मशहूर यात्रियों मसलन मेगस्थनीज़, ह्वेनसांग, अलबरूनी, मार्को पोलो और बर्नियर के विवरण भी हैं जो हमारे देश के बारे में आश्चर्यजनक बातें कहते हैं।
इंडियंस में अरोरा हमारे पूर्वजों के विचारों, विश्वासों और मूल्यों की पड़ताल करते हैं—जिनमें कुछ अभी भी आधुनिक भारत को आकार दे रहे हैं, जबकि अन्य खो गए हैं। यह एक ऐसी मौलिक, शोधपूर्ण और विचारोत्तेजक पुस्तक है जो हमारी नसों में प्रवाहित हो रहे कई तरह के इतिहासों पर प्रकाश डालती है। 

Listening Now

The story of Listening Now takes place before the events of Appachana’s 2023 critically acclaimed novel, Fear and Lovely.

Mallika, a child given to weaving, is convinced that the lives of the mothers around her are dull and devoid of passion and fantasizes romantic love. The truth, which lies at the heart of this story, is completely different. Her mother, Padma, her mother’s sister, Shanta, her mother’s two friends, Madhu and Anu, and her grandmother, Rukmini, all hold wrenching secrets; their complex lives and longings are beyond the child Mallika’s comprehension. Set in 1950s and 1960s, this story encompasses the lives of two generations of women in a small, New Delhi neighbourhood, where conventional lives are lived on the surface, while below, secrets seethe—threatening to destroy everything that has been so carefully constructed to accommodate society’s structures and expectations. Rendered through six points of view, Listening Now captures the voices of these women; the spoken conversations as well as all that remains in the realm of silence. Shortlisted for the Crossword Prize when it was first published in 1998, Listening Now holds readers in its embrace from the very first line.

Four Stars of Destiny

In 2019, General Manoj Mukund Naravane became the twenty-eighth Chief of the Indian Army. His journey to the highest echelons of the Indian Armed Forces was not short of events both exciting and challenging.

In his memoirs, General Naravane recounts the myriad experiences that shaped his character, from his childhood to his years in the Services and beyond. From his fi­rst encounter with the Chinese as a young officer in Sikkim to dealing with them in Galwan when he was Chief, from daily incidents of fi­ring across the LC to implementing a ceasefi­re with Pakistan, General Naravane takes us through his distinguished career spanning over four decades that saw him serve in all corners of the country. This is a specialist’s take on the things that make our forces unique, particularly those that deal with the planning and conduct of operations—the raison d’être of the Army.

In Four Stars of Destiny, General Naravane shares lessons on leadership and management with universal applicability, and gives us an insider’s perspective on what else needs to be done to make the Armed Forces a more potent instrument of national power, ready to meet the challenges of the twenty-fi­rst century. General Naravane’s life and career illustrate the strength and resilience required to overcome adversity, and the importance of family and maintaining a work-life balance—something that has been lost sight of in today’s 24×7 work culture.

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